काशी विश्वनाथ मंदिर – देवों के देव महादेव को महाकाल कहते हैं और कहा जाता है कि जो व्यक्ति महाकाल का भक्त होता है उसे काल से कोई भय नहीं रहता. बाबा महाकाल अपनी शरण में आये समस्त भक्तों की ना सिर्फ रक्षा करते हैं बल्कि उन्हें सभी प्रकार के भयों से मुक्ति भी दिलाते हैं.
देशभर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग विश्व प्रसिद्ध हैं जिनके दर्शन मात्र से इंसान अपने जीवन के समस्त पापों और भयों से मुक्ति पा लेता है.
इसी कड़ी में आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे विश्वप्रसिद्ध ज्यतिर्लिंग के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके दर्शन मात्र से व्यक्ति सभी प्रकार के सांसारिक भयों से मुक्त हो जाता है.
काशी विश्वनाथ मंदिर है दुनियाभर में मशहूर
उत्तरप्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर दुनियाभर में मशहूर है क्योंकि यहां सिर्फ देश से ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए आते हैं.
मान्यता है कि भगवान शिव ने इस ज्योतिर्लिंग को स्वयं के निवास से प्रकाशपूर्ण किया है और उन्होंने इस पावन नगरी को अपने त्रिशूल से थामा है.
हिंदू धर्म के कई ग्रंथों में काशी विश्वनाथ जी के महत्व और महिमा का विस्तारपूर्वक जिक्र किया गया है. कहा जाता है कि काशी विश्वनाथ जी के दर्शन मात्र से व्यक्ति के जीवन से सभी सांसारिक भयों का नाश हो जाता है और उसके अनके जन्मों के पाप भी दूर हो जाते हैं.
इतना ही नहीं मान्यता तो यह भी है कि सैकड़ों जन्मों के पुण्य के फल से ही व्यक्ति को विश्वनाथ जी के दर्शन करने का सौभाग्य मिल पाता है.
विश्वनाथ जी के दर्शन से धन्य हुए थे कई महापुरुष
पतित पावनी गंगा नदी के तट पर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए वैसे तो सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन सावन महीने में देशी और विदेशी श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है.
कहा जाता है कि यह सिलसिला प्राचीन काल से ही चला आ रहा है. बाबा विश्वनाथ जी के दर्शन के लिए आदि गुरु शंकराचार्य, संत एकनाथ, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद, गोस्वामी तुलसीदास जैसे कई महापुरुष इस पावन नगरी में आ चुके हैं.
शिवपुराण के अनुसार काशी में देवाधिदेव विश्वनाथ जी के पूजन-अर्चन से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त होकर अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है.
काशी में आज भी स्थित है सैंकड़ों शिवलिंग
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार काशी में आज भी करीब 511 शिवालय प्रतिष्ठित हैं. इनमें से 12 स्वयंभू शिवलिंग, 46 देवताओं द्वारा, 47 ऋषियों द्वारा, 7 ग्रहों द्वारा, 40 गणों द्वारा और 294 श्रेष्ठ शिवभक्तों द्वारा स्थापित किए गए हैं.
भगवान शिव की यह पावन नगरी अत्यंत महिमामयी है क्योंकि प्राचीन काल से ही काशी यानी वाराणसी नगरी को भगवान शिव की राजधानी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि वाराणसी में व्यक्ति के देहावसान पर स्वयं महादेव उसे मुक्तिदायक तारक मंत्र का उपदेश करते हैं.
ये है काशी विश्वनाथ मंदिर – बहरहाल अगर आप भी सभी प्रकार के सांसारिक भयों को दूर करके मोक्ष पाने की अभिलाषा रखते हैं तो फिर अपने जीवन में एक बार इस पावन नगरी में आकर काशी विश्वनाथ जी के दर्शन का लाभ जरूर लें.