भारत

कारगिल युद्ध का जाबाज हीरो जिसने अकेले मारा था हजारों पाकिस्तानियों को !

भारत-पाकिस्तान के बीच अभी इस समय तनाव का माहौल है.

भारत ने जिस तरह का मुंहतौड़ जवाब पाक को सर्जिकल स्ट्राइक से दिया है उसके बाद से पाक बेहोशी की हालत में है.

वैसे पाकिस्तान के कई राजनेता और आर्मी के बड़े अफसर यह बोल रहे हैं कि आज का पाकिस्तान पहले जैसे नहीं है. आज पाक के पास सेना की अच्छी क्षमता है.

तो आपको याद दिला दें कि कुछ ऐसा ही सन 1999 में भी पाकिस्तान सोच रहा था.

कारगिल युद्ध में पाक की फिर हालत कैसी हुई थी, इससे तो जग-जाहिर ही है. आपको आज हम कारगिल युद्ध के हीरो की कहानी बताने वाले हैं जिसने अकेले ही पाकिस्तान की पूरी एक बटालियन को धूल में मिला दिया था-

कारगिल युद्ध के हीरो की कहानी –

भारतीय सेना के बड़े-बड़े अफसर थे चिंतित –

भारतीय सेना के लिए तब बहुत बड़ी चिंता का विषय यह था कि कैसे 15 हजार फुट की उंचाई पर टोलोलिंग की पहाड़ियों पर कब्जा किया जाये. क्योकि अभी तक सेना तीन बार प्रयास करचुकी थी और तीनों ही बार भारतीय सेना असफल रही. यह पहाड़ी इसलिए भी भारत के लिए जरुरी थी क्योकि ऊपर बैठी पाक सेना भारत को काफी नुकसान पंहुचा रही थी.

तब राजपुताना रायफल की हुई एक मीटिंग –

तब 2 जून 1999 को आर्मी जनरल वीपी मालिक ने एक सभा ली और सबको बताया कि टोलोलिंग की पहाड़ी को अब किसी भी कीमत पर दुश्मनों से वापस लेना है. सेना ने जाबाज 59 सिपाहियों को इस मिशन के लिए गंवा चुकी है. जब राजपुताना रायफल सेना के प्रमुख से कोई प्लान पूछा गया तो वह कोई सही प्लान सामने नहीं रख पा रहे थे. कुछ पलों के लिए तो कुछ समय के लिए सभी अफसर और कमांडों निराश हो गये थे.

तभी खड़ा होता है वह जवान –

और तभी एक चमत्कार होता है. कमांडों में सबसे पीछे बैठा एक जवान दिग्रेन्द्र कुमार खड़ा होता है और अपना प्लान सबके सामने पेश करने की अनुमति मांगता है. अनुमति मिलने पर यह जवान बताता है कि हम पाकिस्तान की सेना की छाती पर वार करेंगे. हम वहीँ से जायेंगे, जिस तरफ दुश्मन मुंह करके बैठे हैं.

तब जनरल ने बोला कि ऐसे तो हम मारे जायेंगे? तो कमांडों दिगेंद्र ने बोला कि साहब- मौत तो वैसे भी आनी ही है और आप चिंता न करें- मैं भारत की इस जमीन से दुश्मनों का खात्मा करके ही दम लूँगा.

तो तब शुरू हुई थी कार्यवाही – 

जब सेना ने कार्यवाही की तो वाकई हालात काफी परेशान करने वाले थे. दुश्मन ऊँचाई पर था और सामने से भारतीय सेना पर हमला कर रहा था. कमांडों दिगेंद्र के भी कुल 5 गोली लग चुकी थी लेकिन भारतीय सेना के इस जवान ने हार नहीं मानी थी. अकेलेही दुश्मनों के 11 बंकरों के ऊपर इस जवान ने 18 ग्रेनेड से जब हमला किया तो इससे पाक सेना की हालत खराब हो गयी थी.

अकेले एक जवान को पाक सेना हजारों की सेना समझ रही थी. पाक के कई सैनिक अपनी पोस्ट छोड़कर ही भाग गये थे. इसके बाद कुछ ही देर में टोलोलिंग की पहाड़ी पर भारत का झन्डा लहरा दिया गया था.

अच्छी बात यह थी कि महावीर चक्र प्राप्त यह भारतीय वीर सैनिक इस मिशन में बच जाता है और अकेले दम पर इसने पाकिस्तान की पूरी सेना को धुल में मिला दिया था.

तो इस कहानी है कारगिल युद्ध के हीरो की जिसको पढ़ने के बाद शायद पाकिस्तान को अपनी सेना की काबिलियत का ज्ञान हो जायेगा. पाक को नहीं भूलना चाहिए कि भारत का एक वीर ही उनकी हजारों की सेना को धूल में मिलाने के काफी होता है.

Chandra Kant S

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