युद्ध सिर्फ आयुधों और सेना के सहारे नहीं लड़े जाते, युद्ध लड़े जाते है हिम्मत बहादुरी देशप्रेम के ज़ज्बे से. अगर देशवासी ही सैनिकों को कोसेंगे तो क्या वो हिचकिचाएंगे नहीं अगली बार हमारी सुरक्षा के लिए प्राणों का बलिदान देने से ?
शायद नहीं क्योंकि अगर वो भी आप और मेरे जैसे होते तो कहीं आराम की जिंदगी जीते हुए किताबी ज्ञान बाँट रहे होते.
प्राण देना हंसी खेल नहीं है, साधारण इंसान के लिए पर सैनिक तो शायद यही सोचकर निकलते है कि सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है जोर कितना बाजू ए कातिल में है.
कारगिल विजय दिवस की 16वीं वर्षगाँठ पर शहीदों को नमन.
ये थी हमारी विशेष पेशकश कारगिल विजय दिवस – श्रद्धांजलि शहीदों को और कुछ सवाल समझदारों के लिए!