विक्रम बत्रा की बहादुरी का आलम ये था कि पाकिस्तान के सैनिकों ने भी इस रणबांकुरे की हिम्मत देखकर उन्हें शेरशाह का नाम दिया था.
एक के बाद एक चोटी फ़तेह करते हुए विक्रम बत्रा अंततः 7 जुलाई को अपने एक घायल साथी को बचाते हुए शहीद हो गए.
विक्रम बत्रा को देश के सर्वोच्च बहादुरी सम्मान परमवीर चक्र से नवाज़ा गया.
या फिर कैप्टन अनुज नायर जिन्होंने अपनी टुकड़ी के शहीद हो जाने के बाद भी ना सिर्फ दुश्मनों से लोहा लिया अपितु अपनी चौकी को भी बचाया. उन्हें महावीर चक्र दिया गया.
बत्रा की तरह ही मनोज पांडे भी बहादुरी की मिसाल थे.
गोरखा रेजिमेंट के इस सैनिक ने काली माता की जय बोल कर ना जाने कितने बंकरों और पाकिस्तानी घुसपैठियों को खत्म किया.
आज भी कारगिल की घाटियों में मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित मनोज पांडे की कहानियां गूंजती सुनाई देती है. गौर से सुनने पर लगता है की मनोज नाम का भारत माता का ये वीर पुत्र आज भी काली माता की जय की हुंकार के साथ दुश्मनों में खौफ पैदा कर रहा है .
इस लड़ाई में भारतीय थल सेना का बखूबी साथ दिया भारतीय वायुसेना ने भी सौरभ कालिया, नचिकेता जैसे जवान अपने विमान दुर्घटनाग्रस्त होने की वजह से दुश्मनों द्वारा पकडे गए पर इन्होने तब भी हिम्मत नहीं हारी.