जिस उम्र में हम जिन्दगी के सपने बुन रहे थे उस उम्र में वो वीर शहीद होकर अपने परिवार वालों के लिए ऐसा सपना बन गए जो कभी पूरा ना हो सकेगा.
एक एक सैनिक वीरता में एक से बढ़कर एक. उनकी शौर्य गाथाएं किसी किवदंती से कम नहीं. उनका जोश ज़ज्बा और बहादुरी ऐसी की वृद्ध की भी भुजाएं फडकने लगे.
मातृभूमि को बचाने की शपथ जो उन्होंने खायी थी उसे पूरा करने के लिए उन हुतात्माओं ने अपने प्राणों का बलिदान देने से पहले एक पल के लिए भी नहीं सोचा.
कैप्टन विक्रम बत्रा जिन्होंने टाइगर हिल फ़तेह करके कहा “ये दिल मांगे मोर ”.