जुलाई 26,1999
तकरीबन 20 दिन हो गए थे क्रिकेट विश्वकप के फाइनल को, जिसमे ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को बुरी तरह हराया था.
उससे पहले 8 जून को भारत ने पाकिस्तान को सुपर सिक्स में बुरी तरह पराजित किया था. उसी दौरान एक और जंग भी लड़ी जा रही थी भारत और पाकिस्तान के बीच, जो खेल के मैदान पर हो रही जंग से कहीं ज्यादा भयावह थी.
कारगिल युद्ध
प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुयी थी. पूरे विश्व को लगा था कि दोनों पडौसियों के बीच ये वार्ता शांति के नए दौर की शुरुआत करेगी.
लेकिन, पाकिस्तान के मन में कुछ और ही था. एक तरफ शरीफ शांति की बात कर रहे थे तो दूसरी तरफ पाकिस्तान के जिहादी ISI और पाक सेना के साथ मिलकर कश्मीर में घुसपैठ कर चुके थे.
कारगिल, द्रास और आस पास की घाटी में उग्रवादियों ने डेरा जमा रखा था. पाकिस्तानी सरकार ने लाख बयान दिया कि घुसपैठ करने वाले आतंकवादी थे पर मारे गए घुसपैठियों से बरामद दस्तावेजों एवं गुप्तचर संस्थाओं से पता चला की पाकिस्तानी सरकार और सेना इस युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से शामिल थी.
इस युद्ध की नीव तब रखी गयी जब 98 में प्रधानमंत्री शरीफ और सेना प्रमुख में तनाव बढ़ा और करामात की जगह मुशर्रफ को सेना प्रमुख बनाया गया.
मुशर्रफ ने कारगिल घुसपैठ की रूपरेखा तैयार की. कश्मीर के सबसे दुर्गम भाग में ये युद्ध लड़ा गया जिसकी वजह से सेना को काफी परेशानी और नुक्सान उठाना पड़ा.