देह व्यापार दुनिया के शायद सबसे पुराने व्यवसायों में से एक है.
देह व्यापार की शुरुआत कब और कहाँ से हुई ये तो कोई भी ठीक ठीक नहीं जानता. लेकिन आज ये व्यवसाय दुनिया के कोने कोने में फैला हुआ है. शायद ही कोई ऐसा देश, ऐसा शहर होगा जहाँ ये धंधा खुलेआम या चोरी छिपे नहीं चलता हो.
दुनिया के कई देशों में वेश्यावृत्ति को कानूनी रूप से एक व्यवसाय माना जाता है, वहीँ कुछ देश ऐसे है जहाँ देह व्यापार गैरकानूनी है. हमारे देश में भी वेश्यावृत्ति गैरकानूनी है लेकिन फिर भी छोटे बड़े सभी शहरों में जिस्मफरोशी का ये धंधा धड़ल्ले से चलता है.
मुंबई देश की औद्योगिक राजधानी है.
यहाँ बड़े छोटे हर तरह के व्यापर फलते फूलते है. बंदरगाह होने की वजह से मुंबई पुराने समय से ही व्यापार का एक मुख्य केंद्र रहा है.
व्यापार का केंद्र होने की वजह से देश विदेश से बहुत से लोग यहाँ आते जाते रहते थे. जैसा कि हम जानते है कि हर व्यक्ति की कुछ ज़रूरतें होती है कुछ मस्ती मज़ा करने की इच्छा होती है.
इसलिए पुराने समय से ही मुंबई में समुद्र के आसपास देह व्यापर फलने फूलने लगा था.
कमाठीपुरा मुंबई का प्रसिद्द और भारत के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में से एक है. 1795 के करीब ये इलाका अस्तित्व में आया था. पहले इसका नाम लाल बाज़ार था.
बाद में तेलंगाना की तरफ से आने वाले काम करने वाले मजदूर जिन्हें कमाठी कहा जाता था के इस इलाके में बस जाने की वजह से इस स्थान को अपना वर्तमान नाम कमाठीपुरा मिला.
90 के दशक में कमाठीपुरा उन इलाकों में से था जहाँ सबसे ज्यादा वेश्याएं थी. एक अनुमान के मुताबिक उस समय कमाठीपुरा करीब 50,000 वेश्याओं और उनके परिवार का घर था. बाद में बढती कीमतों और पुलिस की मुस्तदगी की वजह से धीरे धीरे वेश्याएं यहाँ से मुंबई के दुसरे इलाकों में बसने लगी.
कमाठीपुरा के पास ही केनेडी ब्रिज और ग्रांट रोड ऐसे ही इलाके है.अंग्रेजों के ज़माने से ही यहाँ कोठे शुरू हो गए थे. अँगरेज़ अफसरों की रंगरलियों और मनोरंजन के लिए यहाँ वेश्याओं और नाचने वालियों का जमावड़ा लगता था.
आज़ादी के समय अंग्रेजों के जाने के बाद कमाठीपुरा इलाका पूरी तरह वेश्याओं का हो गया. आज भी हर रात यहाँ जिस्म का बाज़ार सजता है. खुले आम दलाल और वेश्याएं दिखाई देते है.
वेश्यावृत्ति अपने साथ बहुत से अन्य अपराध भी लेकर आती है. माफिया, अंडरवर्ल्ड, अपहरण, नाबालिग लड़कियों की खरीद फरोख्त, बलात्कार, धोखाधड़ी और ड्रग्स जैसे व्यापार इस इलाके में आम बात है.
यहाँ आने वाली अधिकतर लड़कियां किसी ना किसी मज़बूरी के चलते देह व्यापार के दलदल में फंस जाती है. एक बार इस धंधे में आने के बाद बहार निकलना लगभग नामुमकिन होता है.
पिंजरे जैसी छोटी छोटी कोठरियों में पशुओं से भी बदतर हालत में रहकर ये इंसान नहीं एक जिंदा लाश ही बनकर रह जाती है.
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