कल्कि कोएच्लिन हिन्दी सिनेमा जगत की उन कुछ एक अभिनेत्रियों में से जानी जाती हैं जिन्हों ने पिछले कुछ ही वर्षों में अपने हुनर के बल पर नाम कमाया है|
कल्कि को लगातार उनके अभिनय प्रदर्शन के लिए सराहा गया है|
अनुराग कश्यप की बहुचर्चित फिल्म “देव डी“ से सिनेमा जगत में पदार्पण करने वाली कल्कि को मॉडर्न सिनेमा की कई फिल्मों में देखा गया जिन में “ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा“ और “ये जवानी है दीवानी“ भी शामिल हैं|
कल्कि थियेटर से सिनिमा में आईं और अनुराग कश्यप के साथ अपने विवादास्पद वैवाहिक जीवन को ले कर भी काफ़ी चर्चा में रहीं|
हाल ही में हुए एक मैगज़ीन के साथ इंटरव्यू में कल्कि ने अपने जीवन की कुछ संवेदनशील घटनाओं का ज़िक्र किया| उन्होंने बताया “मैने अपने साथ बचपन में हुए शारीरिक शोषण का खुलासा अब जा कर इसलिए नहीं किया ताकि लोग मेरे साथ सहानुभूति जतायें, बल्कि इसलिए किया ताकि ऐसे और लोग जो इस तरह की घटनाओं का शिकार हुए हैं, वे खुल कर सामने आयें और इस के बारे में बात करें|
मैने 9 वर्ष की आयु में किसी को अपने साथ सेक्स करने की अनुमति दे दी थी, क्योंकि मुझे उस वक़्त सेक्स के बारे में कोई ख़ास जानकारी नहीं थी| उस घटना के बाद मेरा सब से बड़ा भय था की कहीं मेरी माँ को इस बात का पता ना चल जाए| मुझे अपनी ग़लती का एहसास हुआ और मैने इस बात को कई वर्षों तक एक राज़ की तरह छुपाए रखा| अगर उस वक़्त मेरे पास आत्मविश्वास या जागरूकता होती तो अपने माता पिता से अपने जीवन के इस अच्छे या बुरे अनुभव के बारे में बात करती| और अगर ऐसा कर पाती तो मैं कई वर्षों की मानसिक प्रताड़ना से गुज़रने से बच जाती|
आज के समय में यह ज़रूरी है कि अभिभावक अपने बच्चों के साथ सेक्स एवं अतरंग अंगों के बारे में बात करने से ना हिचकिचायें ताकि बच्चे अपनी उधेड़बुन के बारे में खुल कर बात करें और ऐसे शारीरिक शोषण और मानसिक उत्पीड़न से बचे रहें|”
कल्कि ने यह भी कहा “मैं इस बात में पूरा विश्वास रखती हूँ कि मैं जैसी हूँ, वैसा ही अपनेआप को दुनिया एवं समाज को दिखाऊँ, फिर चाहे उस का नतीजा मुझे डाइवोर्स मिलना ही क्यों ना हो | मैं और मेरे पति लोगों के लिए एक झूठा जीवन नहीं जीना चाहते थे| अपनी कमज़ोरियों को स्वीकार करने से मुझे ज़िंदगी की सीख भी मिलती है और आगे जीने की ताक़त और हौंसला भी|”
“मेरे प्रणय जीवन और प्रेम के बारे में मुझ से कई सवाल पूछे जाते हैं किंतु मुझे लगता है कि प्रेम दुनिया को दिखाने के लिए नहीं होता, प्रेम सिर्फ़ वो तस्वीरें नहीं हैं जो हम सोशियल साइट्स पर सांझी करते हैं, ना ही प्रेम विवाह के लिए कोई प्रमाण पत्र है| प्रेम कोई संपत्ति या सौदा भी नहीं है जो एक हाथ से लिया जाए और दूसरे हाथ से दिया जाए| प्रेम का मतलब है देना बिना लेने की इच्छा रखे हुए| यह सुनने में ज़रूर कोई क़ुर्बानी जैसा लगता है किंतु इस में सार यह है की खुल कर और खुशी से देने के लिए आप को स्वयं में संपूर्ण होना पड़ता है| यह एक तरह से मतलबी होने जैसा है| जो व्यक्ति अपने आप से पूरी तरह से प्रेम करता है, वही दूसरों को पूरी तरह प्रेम देने की क्षमता भी रख पता | मैं अभी वहाँ नहीं पहुँची हूँ जहाँ मैं पहुँचना चाहती हूँ, लेकिन मैं हर रोज़ वैसा रहने की कोशिश करती हूँ जैसी मैं हूँ, एक ऐसी नौकरी में हो कर जहाँ मुझे हर दिन कोई और बनना पड़ता है| बस यह लड़ाई ही प्रेम के प्रति मेरी लालसा है|”
हम कल्कि के इन विचारों से पूरी तरह से सहमत हैं और हमारी शुभकामनायें उन के साथ हैं उन के आने वाले जीवन के लिए|
आशा करते हैं कि कल्कि कोएच्लिन के इस बयान से आज के अभिभावकों और युवक युवतियों को जीवन जीने के लिए प्रेरणा अवश्य मिलेगी |
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