कुछ साल पहले एक रूसी डॉक्टर ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा की थी। इस डॉक्टर ने दावा किया था कि असलियत में कैलाश पर्वत एक पुराना मानव निर्मित पिरामिड है जोकि कई छोटे-छोटे पिरामिडों से घिरा हुआ है। उन्होंने इसे गिजा पिरामिड से जुड़ा हुआ बताया था।
कैलाश पर्वत की नहीं होती चढ़ाई
मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर स्वयं भगवान शिव अपने परिवार सहित वास करते हैं और ये पर्वत अलौकिक शक्तियों से सृजित है। आज तक कोई भी इंसान इस पवित्र पर्वत की चढ़ाई नहीं कर पाया है। जिसने भी इस पर चढ़ाई करने की कोशिश की उसकी मृत्यु हो गई।
चीन की सरकार ने कैलाश की इन घटनाओं के मद्देनज़र इस पर पर्वतारोहण को लेकर पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है। कहा जाता है कि 19वीं और 20वीं शताब्दी में कुछ पर्वतारोहियों ने इस पर चढ़ाई करने की कोशिश की थी लेकिन वो अचानक गायब हो गए।
एर्नस्ट मुल्दाशिफ हैं रूसी डॉक्टर
जी हां, यही वो डॉक्टर है जिन्होंने सन् 1999 में कैलाश पर्वत के रहस्यों को खोलने के लिए इस पर चढ़ाई करने का निर्णय लिया था। उनकी टीम में पर्वतारोहण के लिए भूविज्ञान और भौतिकी के विशेषज्ञ शामिल थे। उन्होंने कैलाश पर्वत के आसपास कई महीने बिताए। उन्होंने अपनी एक किताब में भी कैलाश पर्वत के रहस्यों का खुलासा किया था।
क्या निकला कैलाश मानसरोवर की यात्रा का नतीजा
कैलाश पर्वत पर खोजबीन करने वाली रूसी डॉक्टर की टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची कि असल में कैलाश पर्वत एक मानव निर्मित पिरामिड है जिसे बहुत साल पहले बनाया गया था। उन्होंने इस पर पारलौकिक गतिविधियों के होने की बात भी कही थी।
इस यात्रा से लौटने के बाद रूसी डॉक्टर मुल्दाशिफ ने अपनी किताब में लिखा था कि रात के समय खामोश मंज़र में कैलाश पर्वत के अंदर से अजीब तरह की फुसफुसाहटें आती हैं। एक रात को तो उन्होंने अपने साथी के साथ साफ-साफ पत्थरों के गिरने की आवाज़ें सुनी थीं। यह आवाज़ पर्वत के पेट से सुनाई दे रही थी। ये सब सुनकर ऐसा महसूस हो रहा था कि पर्वत के अंदर कुछ लोग रहते हैं। उनकी टीम ने कैलाश पर्वत के आसपास एक साल बिताया था।
कई वैज्ञानिकों और पर्वतारोहियों ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि कैलाश पर्वत पर कुछ अजीब सा महसूस होता है और यहां पर पारलौकिक शक्तियों को आप साफ महसूस कर सकते हैं। तिब्बती गुरुओं का भी कहना है कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह रहता है जिसमें तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलिपैथी संपर्क करते हैं।
रूसी डॉक्टर ने अपनी किताब में भी लिखा था कि उन्हें एक साइबेरियाई पर्वतारोही से पता चला था कि कैसे कुछ लोग कैलाश पर्वत पर एक निश्चित बिंदु तक पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद वो अपनी उम्र से अधिक बूढे दिखाई देने लगे। इसके एक साल बाद ही बुढ़ापे की वजह से उन लोगों की मौत हो गई।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा – कहा जाता है कि कैलाश के आसपास शम्बाला नाम का एक रहस्यमयी राज्य है। कुछ संप्रदाय इस राज्य को कपापा के नाम से भी बुलाते हैं जहां पर तपस्वी और सिद्ध लोग वास करते हैं।