आज पूरी दुनिया में कागज़ का इस्तेमाल हो रहा है लेकिन क्या आप कागज़ के इतिहास के बारे में जानते हैं कि कागज़ का आविष्कार किसने, कब और कैसे किया और भारत में कागज़ का इस्तेमाल कब से शुरु हुआ?
आज हम आपको इस लेख के ज़रिए कागज़ के इतिहास की पूरी विस्तृत जानकारी देने जा रहे हैं जिसके बारे में आपने अब से पहले नहीं सुना होगा। आज कागज़ के बिना हमारे कई सारे काम अधूरे हैं। ऑफिस के कामों से लेकर सरकारी और कानूनी काम कागज़ के बिना पूरे किए ही नहीं जा सकते हैं। बच्चों को भी पढ़ाई के कागज़ की जरूरत पड़ती है। आपको बता दें कि कागज़ को बनाने में घास, फूंस, लकड़ी, कच्चे माल, सेलुलोज़ आधारित उत्पादों का इस्तेमाल किया जाता है।
कागज का आविष्कार कहां हुआ
माना जाता है कि चीन कागज़ का आविष्कारक है। सबसे पहले चीन में ही कागज़ का इस्तेमाल किया गया था। कागज का आविष्कार करने वाले शख्स का नाम है साई लुन जो चीन के रहने वाले थे। उन्होंने 202 ई. पू. में हान राजवंस के समय में कागज़ का आविष्कार किया था।
कब, कैसे हुआ कागज़ का आविष्कार
साई लुन द्वारा किए गए कागज़ के आविष्कार से पहले लेखन के लिए बांस या रेशम के टुकड़े का प्रयोग किया जाता था लेकिन इसमें परेशानी ये थी कि रेशम काफी महंगा था और बांस बहुत भारी हुआ करता था।
इसके बाद साई लुन ने ऐसा कागज़ बनाने की सोची जो सस्ता हो और जिस पर लिखना भी आसान हो। उस समय लुन ने भांग, शहतूत, पेड़ की छाल और अन्य तरह के रेशों की मदद से कागज़ का निर्माण किया था। ये कागज़ चमकीला, मुलायम, लचीला और चिकना होता था। इसके बाद कागज़ का इस्तेमाल धीरे-धीरे पूरी दुनिया में होने लगा। इस उपयोग आविष्कार के कारण ही साई लुन को कागज़ का संत कहा जाने लगा।
भारत में कैसे आया कागज़
इस बात में तो कोई शक नहीं है कि कागज़ का आाविष्कार चीन में हुआ था लेकिन वो भारत ही है जहां कागज़ बनाने और इस्तेमाल किये जाने के प्रमाण मिले।
सिंधु सभ्यता के दौरान भारत में कागज़ के प्रयोग किए जाने के कई प्रमाण मिले हैं। इन प्रमाणों से ये साबत होता है कि चीन के बाद भारत में ही सबसे पहले कागज़ का निर्माण और प्रयोग हुआ था। कहा जाता है कि इस खोज के बाद से ही पूरी दुनिया में कागज़ का इस्तेमाल व्यापक रूप से किया जाने लगा था।
भारत में कागज़ उद्योग की पहचान
- भारत में सबसे पहले कागज़ बनाने की मिल कश्मीर में लगाई गई थी। इसे वहां के सुल्तान जैनुल आबिदीन ने स्थापित की थी।
- सन् 1887 में कागज़ बनाने की एक और मिल लगाई गई थी जिसका नाम टीटा कागज़ था लेकिन ये मिल कागज़ बनाने में असफल रही।
- आधुनिक कागज़ का उद्योग कलकत्ता में हुगली नदी के तट पर बाली नाम की जगह पर स्थापित किया गया था।
इस तरह दुनिया में कागज़ का आविष्कार हुआ है और इस उपयोगी चीज़ के आविष्कार में भारत ने भी अहम भूमिका निभाई है।