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काल भैरव का चमत्कारी और शक्तिशाली मंदिर ! मुंह से लगाते हैं भैरो बाबा शराब और पलभर में मदिरा हो जाता है ख़त्म

काल भैरव

आप सभी ने यह तो सुना ही होगा कि भैरों बाबा शराब और मदिरा का पान करते हैं.

सप्ताह में एक दिन शनिवार या रविवार को इनके भक्त प्रसाद में भी मदिरा ले जाते हैं. बाद में बेशक यह मदिरा इनके भक्त खुद पी लेते हैं. लेकिन मध्यप्रदेश के उज्जैन में भैरों बाबा का एक ऐसा मंदिर हैं जहाँ बाबा मदिरा का पान करते हुए देखे जा सकते हैं. काल भैरव नाम का यह मंदिर उज्जैन के भैरवगढ़ में स्थित है.

आपको सुनने में बेशक यह मजाक लग रहा होगा लेकिन यह एक सच है. भक्त अपने साथ शराब लाते हैं और बाबा मुंह से सारी मदिरा को देखते ही देखते ख़त्म कर देते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि यह मंदिर कोई ऐसा-वैसा मंदिर नहीं है.

इस चमत्कारी मंदिर में आने से बुरे से बुरे कर्म से मुक्ति प्राप्त होती है. इंसान के बड़े से बड़े कर्म कटते हुए भक्तों ने महसूस किये हैं.

कैसे पीते हैं बाबा शराब

मंदिर के बाहर दुकानों पर मदिरा प्रसाद के रूप में रखी देखी जा सकती हैं. छोटी-छोटी बोतलें जैसे दीया जलाने के लिए तेल या घी रखा हुआ हो. भक्त आते हैं इन बोतलों को खरीदते हैं और मंदिर में प्रवेश करते हैं. मंदिर में मुख्य स्थल पर भैरों बाबा की बड़ी सी मूर्ति रखी हुई है. यहाँ के पुजारी पूरे समय में मन्त्रों का उच्चारण करते रहते हैं.

ऐसा बोला जाता है कि अगर पुजारी यह मन्त्र ना पढ़ें तो फिर काल भैरव इस प्रसाद का भोग नहीं लगायेंगे. शराब को एक प्याले में पुजारी लेते हैं. इसके बाद की चीज देखकर आप हैरान रह जायेंगे. जैसे ही प्याला भैरव बाबा के मुंह से लगाया जाता है बाबा प्याले को ख़त्म कर देते हैं.

आपको ऐसा लग सकता है कि यह प्याला तो मूर्ति सोख लेती है. अंग्रेजों को भी एक जमाने में कुछ ऐसा ही लगा था. मूर्ति की जांच कराई गयी थी किन्तु उनको कुछ भी हाथ नहीं लगा था.

अगर प्रतिमा मदिरा सोख रही होती तो यह प्रतिमा जल को इस तरह से क्यों नहीं पीती है. भक्तों कि मानें तो यह मदिरा नहीं है यह प्रसाद है जो भक्त बाबा को देते हैं. इसके बदले बाबा हमसे बोलते हैं कि इस बुराई को इंसान ना पिए. यह जहर इसलिए बाबा पीते हैं.

बात तो सच है क्योकि भगवान अपने भक्तों से जहर लेते हैं और बदले में अमृत भक्तों को देते हैं. यहाँ भी भैरो बाबा भक्तों को खुशियों से मालामाल कर रहे हैं. यहाँ दिल से मांगी हुई हर मुराद कुछ ही दिनों में पूरी हो रही है.

मंदिर का इतिहास

मंदिर को यहाँ के पुजारी 6 हजार साल पुराना बताते हैं.

उज्जैन का यह मंदिर कभी तंत्र साधना का सबसे बड़ा स्थान हुआ करता था. यहाँ पर मात्र वही साधू आते थे जो तंत्र साधना करते थे. लेकिन बाद में यह मंदिर सभी के लिए खोल दिया गया है. मंदिर के मदिरा पान के रहस्य की जाँच कई बार करने की कोशिश की गयी है लेकिन किसी के हाथ कुछ भी नहीं लगा है.

यहाँ आने से खत्म हो जाते हैं राहू दोष

अगर किसी व्यक्ति को राहू दोष है और यह दोष काफी समय से व्यक्ति को परेशान कर रहा है तो ऐसे व्यक्ति को यहाँ जरूर आना चाहिए. बाबा के आगे प्रार्थना करने और मदिरा का प्रसाद बाबा हो अर्पित करने से यह दोष निश्चित रूप से ख़त्म हो जाता है.

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