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जानिए कौन था भारत का असली सिंघम

बात जब भी पुलिस की बहादुरी की होती है तो रील लाइफ हीरो और उनकी फिल्में जैसे- दबंग, राउडी राठौड़ का ख्याल आता है।

लेकिन इन सब से परे हटकर अगर देखा जाए तो रीयल लाइफ में भी कुछ ऐसे पुलिस वाले हैं जो किसी हीरो से कम दबंग नहीं है। 1980 के दशक में देश ने ऐसे ही एक दबंग पुलिस ऑफिसर को देखा जिसने खालिस्तान आतंकवाद का खात्मा कर दिया था। के पी एस गिल असम कैडर से निकल कर पंजाब आए थे और पंजाब से खालिस्तान की मांग को लेकर आतंकवाद फैलाने वाले लोगों को खत्म कर दिया।

आइए जानते हैं देश के एक ऐसे दबंग ऑफिसर केपी एस गिल के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

  • के पी एस गिल का पूरा कंवर पाल सिंह गिल था इनका जन्म 26 मई 1935 में पंजाब के लुधियाना में हुआ था। 1958 में उन्होंने भारतीय पुलिस सर्विस को ज्वॉइन किया। जहां उन्हें नॉर्थ-इस्ट राज्य असम और मेघालय की कमान सौंपी गई। के पी एस गिल का बेहतर काम उसी समय से सरकार कि नज़रों में आ गया था।

  • 3 जून को ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाया गया जब इंडियन आर्मी ने स्वर्ण मंदिर में घुसकर आतंकवादियों को मार गिराया था लेकिन उसके बाद भी आतंकवाद पंजाब से पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद के साल में भी लगभग हजार लोग मारे जा चुके थे और उसके पहले भी करीब 500 लोग मारे गए थे। पंजाब पुलिस का कोई भी अधिकारी पंजाब के हालातों को संभालने के लिए तैयार नहीं था, ऐसे में के पी एस गिल को पंजाब बुलाया गया।
  • ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद पंजाब में के पी एस गिल के नेतृत्व में ऑपरेशन ‘ब्लैक थंडर’ चलाया गया। यह एक अलग तरह का ऑपरेशन था जिसमें मीडिया को भी कवरेज की ईज़ाजत दी गई थी। यह ऑपरेशन गुरुद्वारे में मौजूद सिख आतंकियों को खत्म करने के लिए चलाया गया। जिसमें 40 आतंकी मारे गए लेकिन बहुत सारे आतंकियों ने सरेंडर भी कर दिया जिसके बाद केपी एस गिल काफी लोकप्रिय हो गए थे।

  • ऑपरेशन ब्लैक थंडर नौ दिन तक चला और ऑपरेशन खत्म होने के बाद उन्होंने गुरुद्वारे में भी प्रवेश किया। के पी एस गिल के कारण पंजाब पुलिस का आत्मविश्वास काफी ज्यादा बढ़ गया। 2002 के गुजरात दंगों में भी उन्हें स्थिति संभालने के लिए बुलाया गया था। केपी एस गिल को नक्सलवाद को खत्म करने के लिए छत्तीसगढ़ बुलाया गया था लेकिन रमन सिंह सरकार की उदासीनता के चलते ऐसा नहीं हो पाया। केपी एस गिल ने पंजाब से आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म कर दिया था जिसके बाद उन्हें ‘सुपर कॉप’ कहा जाने लगा।
  • के पी एस गिल 1994-2008 तक इंडियन हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष भी रहे जब भारतीय टीम नें एशिया गोल्ड भी जीते थें। इन्होंने इस खेल को तवज्जो दिलाने की कोशिश की थी, आईपीएल की तर्ज पर इन्होंने हॉकी में हॉकी प्रीमियर लीग भी चलाया था। हॉकी के खिलाड़ियों की आर्थिक मदद करने के लिए भी इन्हें याद किया जाता है। केपी एस गिल पर छेड़छाड़ और हॉकी में भ्रष्टाचार करने के भी आरोप लगे इसके बावजूद  इन्हें भारतीय उच्च सम्मान पद्म श्री से नवाजा गया था।

अपनी शर्तों के अनुसार काम करने वाले के पी एस गिल ने लोगों की नजरों मे पुलिस के लिए भी सम्मान पैदा किया। ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद पंजाब में खालिस्तान का खौफ इतना फैल चुका था की जज़ भी आरोपी की आंखों पर पट्टी बांध कर सुनवाई किया करते थे उस खौफ को खत्म करने और पंजाब में शांति स्थापित करने के लिए के पी एस गिल ने जो कदम उठाया उसने बहादुरी की लाईन में पुलिस को भारतीय सेना के बराबर लाकर खड़ा कर दिया था। दिमाग और शक्ति मिलाकर इन्होंने पंजाब में आतंकवाद को जैसे खत्म किया उसके लिए आज भी देश के इस सुपर कॉप की बहादुरी की मिसाल दी जाती है।

Anshika Sarda

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