Categories: विशेष

ज्वालामुखी देवी मंदिर: जहाँ की ज्वाला अकबर भी नहीं बुझा पाया और माता का भक्त बन गया

ऐसा मंदिर जहाँ किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती..

भारत को मंदिरों का देश कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा. हमारे यहाँ हर मोड़ पर एक मंदिर दिखाई देता है. यदि मंदिर नहीं है तो पेड़ के नीचे ही किसी मूर्ति को रखकर मंदिर का रूप दे दिया जाता है.

हमारे देश में कुछ मंदिर अजाब और अनोखे है. ऐसे ही मंदिरों में से एक हिमाचलप्रदेश में स्थित ज्वालामुखी देवी का मंदिर है. इस मंदिर के बारे में बहुत सी अनोखी और चमत्कारिक बाते है.

आइये आपको बताते है इस मंदिर में क्या है खास

ये मंदिर हिमाचलप्रदेश में कांगड़ा से 30 किलोमीटर दूर स्थित है. इस मंदिर को जोतावाली माता या नगरकोट भी कहते है. इस मंदिर को महाभारतकाल में पांडवों ने खोजा था.

ये मंदिर देवी के शक्तिपीठों में से एक है. शक्तिपीठ वो स्थान है जहाँ पर सती के अंग कटकर गिरे थे.

कहा जाता है कि जहाँ सती की जिव्हा गिरी थी उसी स्थान पर ज्वालामुखी देवी मंदिर है.

ज्वालामुखी देवी मंदिर में देवी किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती. मूर्ति के स्थान पर यहाँ देवी की अखंड ज्वाला की पूजा की जाती है. इस मंदिर में धरती में से 9 अलग अलग ज्वाला निकलती है. इन 9 ज्वाला को देवी का  अलग अलग रूप मानकर पूजा की जाती है.

ज्वालामुखी देवी के बारे में माता के भक्त ध्यानु और बादशाह अकबर से जुड़ा एक किस्सा बहुत प्रचलित है. जब ध्यानु ने अपने जत्थे के साथ ज्वालामुखी देवी के दर्शन करने की आज्ञा मांगी तो अकबर ने पुछा क्या है उस मंदिर ने. ध्यानु ने इस चमत्कारिक मंदिर के बारे में बताया तो अकबर ने उसकी भक्ति को चुनौती देते हुए कहा कि जवालामुखी देवी के मंदिर में मांगना के तेरे घोड़े को जिन्दा करदे. ये कहकर अकबर ने ध्यानु के घोड़े का सर काट दिया.

मंदिर पहुँच कर ध्यानु ने ज्वालामुखी देवी की अर्चना की और अपनी इच्छा पूरी करने को कहा. जब ध्यानु दर्शन करके बादशाह के पास लौटा और अपने घोड़े को पुकारा तो घोड़ा सही सलामत वापस आ गया. इस चमत्कार को देखकर अकबर भी देवी के मंदिर गया. अकबर ने वहां ज्वाला को बुझाने के बहुत प्रयास करे. यहाँ तक कि उसने गर्भ ग्रह तक एक झील भी बनायीं.

इतने प्रयासों के बाद भी जब ज्वाला नहीं बुझी तो अकबर को ज्वालामुखी देवी की शक्ति का अहसास हुआ. उसके बाद अकबर भी देवी का भक्त बन गया और अपने किये की क्षमा मांगने के लिए मंदिर पर स्वर्ण छत्र चढ़ाया.

इस मंदिर की ज्वाला चमत्कारिक मानी जाती है. अकबर के बाद अंग्रजों ने भी इस ज्वाला के स्त्रोत का पता लगाकर उससे ऊर्जा रूप में उपयोग लाने की कोशिश की थी. लेकिन उन्हें ज्वाला का ऊर्जा स्त्रोत कहीं नहीं मिला.

हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु ज्वालामुखी देवी  के दर्शन हेतु आते है.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

Share
Published by
Yogesh Pareek

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago