मंदिर पहुँच कर ध्यानु ने ज्वालामुखी देवी की अर्चना की और अपनी इच्छा पूरी करने को कहा. जब ध्यानु दर्शन करके बादशाह के पास लौटा और अपने घोड़े को पुकारा तो घोड़ा सही सलामत वापस आ गया. इस चमत्कार को देखकर अकबर भी देवी के मंदिर गया. अकबर ने वहां ज्वाला को बुझाने के बहुत प्रयास करे. यहाँ तक कि उसने गर्भ ग्रह तक एक झील भी बनायीं.