जीवन शैली

जुनून ही है जिंदगी !

जुनून – आखिर जीवन की सार्थकता क्या है? क्या केवल कामयाबी या मंज़िल पा लेने का नाम ही है जिंदगी या फिर वो जिसमें हम अपने शौक को पूरा कर सकें. देखा जाए तो अपने शौक को पूरा करने का आनंद जिंदगी की हर कामयाबी से बहुत बड़ा होता है.

आपका पेशा आपको थका सकता है लेकिन जुनून ऐसा आपको नहीं होने देता. जुनून तो मन की वो उर्जा है जो राह में आने वाले हर संघर्ष को घुटने टेकने पर मजबूर कर देता है.

दुख या संघर्ष तो सबकी जिंदगियों में आता है पर कुछ इसे ज़िंदगी की नियति मान लेते हैं तो कुछ इन बातों से परे हो जातें हैं. ब्लॉग या सोशल मीडिया में लिखने की बेचैनी हो या किताबों के बीच कल्पना लोक में खोने की तमन्ना, बाइक पर सवार होकर कहीं लॉन्ग ड्राइव पे जाना हो या गिटार पर किसी अनजानी धुन को अपना बना लेने की बेताबी. अलग-अलग रंग और रूप में ये हम सबके अंदर मौजूद है. ये व्यक्तित्व से गहरे जुड़ा है और प्रोफेशनल लाइफ से अलग पैशन ही कभी-कभी आपकी पहचान बन जाता है.

जब आप अपने मनपसंद कार्यों को करने में जुटे होते हैं, सही अर्थों में तभी आप खुदको पहचान भी पाते हैं. कामयाबी की पहली शर्त ही यही है कि आप खुदको जानें, अपनी खूबियों के साथ अपनी कमज़ोरियों का भी पता लगाएं. वैसे भी बेमानी से लगने लगते हैं प्रतिभा, अनुशासन, बुद्धि, भाग्य जैसे अनेक शब्द अगर आपकी ज़िंदगी में जुनून न हो. यदि आपमें कुछ कर दिखाने का जुनून है तो आपको अपने पेशे में कामयाबी मिले या न मिले पर ज़िंदगी में कुछ कर गुज़रने का जुनून कभी भी कम नहीं होगा. बेहतरी का ये हौसला आपको नई राह की ओर प्रेरित करता है फिर इससे आप पहले से ज़्यादा अपने कार्य को बेहतर करने में जुट जाते हैं.

किसी भी चीज़ का जुनून आपको भीतर से तराशता है. आपको अच्छाईयों और अपने प्रति ईमानदार रहने को भी प्रेरित करता है. वहीं, अगर आप अपने कार्य के लिए ईमानदार नहीं हैं तो आप उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाएंगे, जो दूसरों को भी आपके जैसी राह पर चलने के लिए उन्हें प्रेरित कर सके. जुनून तो आपको आत्ममंथन करने के लिए बाध्य करता है. तब आप समझ जाते हैं कि कामयाबी पैसे या बड़े पद को पाने में नहीं, स्वयं को वहां तक ले जाने में है जहाँ आपको मिल सकता है ज़िंदगी का आनंद.

ब्रिटिश साहित्यकार स्व. टी एस इलियट ने अपने अंदर के जुनून को बड़ी ही अच्छी तरह से परिभाषित किया है कि जुनून की ताकत का अंदाज़ा लगाने के लिए बस यही काफी है कि अंधा होने के बावजूद भी व्यक्ति रौशनी को महसूस कर सकता है. वैसे भी देखा गया है कि दुनिया के सभी महापुरुष अपने भीतर की ताकत पर भरोसा करते थे. उनकी ये ताकत जुनून ही है जिसके बदौलत उन्होंने उन प्रमाणिक कहानियों को गढ़ा है जो सदाबहार प्रेरक प्रसंग साबित हुईं हैं. एक जुनून ही है जो आपको अपनी ज़िंदगी से जोड़ के रखता है. ये आपका उन सभी चीज़ों से ध्यान बंटाता है जो इसके आड़े आती हैं. बस इतना ही समझ लिया जाए तो ज़िंदगी आसान हो जाएगी कि ज़िंदगी में जीवन नहीं होता अगर इंसान के अंदर जुनून न हो.

Devansh Tripathi

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