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आखिर क्यों ज़रूरी है जुम्मे की नमाज़ ?

जुम्मे की नमाज़ पढना – इस दुनिया में अलग-अलग मज़हब को मानने वाले हैं. हर किसी के लिए उसका धर्म बहुत मायने रखता है.

हिन्दू के घर में रोज़ लोग मंदिर जाकर अपने भगवान् को याद करते हैं, वैसे ही मुस्लिम भी अपने घर में नमाज़ अदा करके अपने खुदा को याद करते हैं, लेकिन हर एक मुस्लिम के लिए जुम्मे की नमाज़ बहुत ही मायने रखती है.

इसे अदा करने के लिए चाहे कितना बड़ा और अमीर आदमी क्यों न हो, कोशिश करता है कि मस्जिद में चला ही जाए.

जुम्मे की नमाज़ पढना या फ्राइडे की नमाज़ हर मुस्लिम के लिए बहुत मायने रखती है.

दुनियाभर के मुस्लिम इस दिन की नमाज़ को तहे दिल से अदा करते हैं. इस दिन वो ख़ुदा को याद करना बिलकुल नहीं भूलते. इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस्लाम धर्म के लोग दिन में खाना भूल सकते हैं, जरूरी कार्य भूल सकते हैं लेकिन खुदा को याद करना नहीं भूलते. अक्सर आपने देखा होगा कि शुक्रवार यानी जुम्मे की नमाज़ पढना मुसलमानों में काफी आवश्यक मानी जाती है. इस महिला और छोटी लड़कियां भी अदा करती हैं. फर्क बस इतना होता है कि वो अपने घर में ही इसे अदा करती हैं.

मुस्लिमों में औरतों को मस्जिद जाकर नमाज़ अदा करने की अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है.

आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों मुस्लिमों के लिए जुम्मे की नमाज़ पढना इतनी मायने रखती है.

आखिर क्यों शहरों में फ्राइडे को ज्यादा ट्रैफिक होता है, आखिर क्यों हर शुक्रवार को मस्जिद में रौनक बढ़ जाती है, आखिर क्यों हर मुस्लिम इस दिन ख़ुदा की दरबार में दस्तक देता है? इस्लाम में जुम्मे के दिन को बेहद पाक दिन बताया गया है. अगर आपने दिल्ली जामा मस्जिद को देखा है तो बता दें जामा मस्जिद का नाम भी ‘जुम्मा’ के नाम पर रखा गया है. जुम्मे का दिन खुदा की इबादत और भाईचारे को समर्पित है.

इसके साथ ही जुम्मे की नमाज़ से पहले मस्जिदों के इमाम साहब लोगों को कुरान शरीफ से कुछ उपदेश सुनाते हैं. बाकी दिन आपको इमाम साहब ही दिखाई नहीं देंगे.

हफ्ते के हर दिन से बेहद ख़ास होता है शुक्रवार. वैसे ये वीकेंड भी होता है. नौकरी पेशा लोगों के लिए ये ख़ुशी इसलिए होती है क्योंकि उनकी दो दिन की छुट्टी होती है, लेकिन मुस्लिमों के लिए ये दिन बेहद ख़ास इसलिए होता है, क्योंकि इस्लाम में जुम्मे दिन को अल्लाह के दरबार में रहम का दिन कहा जाता है. जुम्मे की नमाज़ को पढ़ने वाले इंसान की पूरे हफ्ते की गलतियों को खुदा माफ कर देता है. इसका मतलब ये हुआ कि पूरे हफ्ते अगर आपने कोई गलती की है तो इस दिन आप ख़ुदा की दरबार में हाजिरी लगाकर इसकी माफ़ी मांग सकते हैं. कुछ मान्यताएं ऐसी भी हैं कि जन्म के बाद आदम जब धरती पर आए थे, तो उस समय को शुक्रवार के दिन लोग नमाज़ अदा करने के लिए रख लिए. वो उस पल को बेहद अहम् मानते हैं.

तो अब से आप भी अपने इस्लाम का सम्मान करते हुए हफ्ते की सारी गलतियों की माफ़ी मांगते हुए जुम्मे की नमाज़ ज़रूर अदा करें और जीवन में सुख और शांति पाएं.

Shweta Singh

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Shweta Singh

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