धर्म और भाग्य

मौत के बाद कैसा होता है आत्माओं का सफर

आत्माओं का सफर – दुनिया भर में हर कोई जानना चाहता है की उसकी मौत के बाद उसके साथ क्या होता है, क्या शास्त्रों अनुसार कही गई आत्माओं वाली बाते सच हैं अगर हाँ तो आखिर कैसे होता होगा मौत के बाद का हमारा सफर आइए जानते हैं –

आत्माओं का सफर आज तक यह दुनिया से एक रहस्य ही रहा है कि इंसान मौत के बाद अपना शरीर छोड कर दूसरी दुनिया में चला जाता है. लेकिन इस दुनिया के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया, हर कोई अपने सवालो के जवाब तराशता रहा है कि क्या इस दुनिया के अलावा भी ऐसी कोई दुनिया हैं जहा इंसान को मृत्यु के बाद कर्मफल भोगने पडते हैं.

हम सभी ने कहाँनीयो और शास्त्रो में पढा है की नर्क कितना दुखदायी है और स्वर्ग कितना सुखमय लेकिन इन बातो में कितनी सच्चाई है इसका पता आज तक नहीं चल पाया है.

भगवान श्री कृष्ण की बात माने तो उन्होंने भगवत गीता में लिखा है की आत्मा की यात्रा अनंत है और इंसान का शरीर केवल इसके लिए एक साधन है. जैसे की यह उसके वस्त्र हो. आत्मा किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका शरीर छोडती है तो वह दूसरे शरीर को धारण भी करती है. यह बात हम सभी ने सुनी भी है और इस पर ज्यादातर लोगो ने विश्वास भी किया है.

लेकिन एक शरीर से दूसरे शरीर तक की इस यात्रा में आत्मा को किस प्रकार की घटनाओं से गुजरना पडता है, आत्माओं का सफर कैसा है, यह इन सबसे ज्यादा रोमांच और जिज्ञासा का विषय है.

हिंदू धर्म के शास्त्रों की माने तो आत्मा के शरीर छोडते ही उसे दो यमदूत लेने आते हैं और वह उसे उसी प्रकार लेकर जाते हैं जिस प्रकार उसने अपने जीवन में कर्म करे हो. अगर मरने वाला व्यक्ति पुण्यात्मा है तो उसके प्राण निकलने में कोई पीडा नहीं होती वही दूसरी ओर अगर वह दुरात्मा है तो उसके प्राण निकलते समय उसे बहुत पिडाओ का सामना करना पडता है.

पुराण में इस बात का भी उल्लेख है की यमदूत आत्मा को केवल 24 घंटो के लिए ही ले जाते हैं.

यमदूत के पास 24 घंटो की यात्रा में आत्मा को उसके जीवन की सैर कराई जाती है और दिखाया जाता है की उसने धरती पर कितने पाप और कितने पुण्य किए हैं. इसके बाद उस आत्मा को वही छोड दिया जाता है जहा उसने अपना शरीर त्याग किया था. 13 दिन बाद आत्मा फिर से यमलोक की यात्रा करती है.

पुराणों के अनुसार आत्माओं को दो भागो में बाटा जाता है एक गति तो दूसरा अगति. अगति के अनुसार आत्मा को मोक्ष प्राप्त नहीं होता और उसे फिर से जन्म लेना पडता है वही गति में जीव को मोक्ष प्राप्ति के बाद किसी लोक में जाना पडता है.

आत्मा को मौत के बाद कर्म अनुसार मार्ग पर भेजा जाता है. पहला मार्ग अर्चि मार्ग जिसके अनुसार जीव ब्रह्मलोक की यात्रा के लिए जाता है धूममार्ग यानी पितृलोक यात्रा और उत्पत्ति-विनाश मार्ग मतलब नर्क की यात्रा.

ये है आत्माओं का सफर –  अपनी इस यात्रा को पूर्ण करने के बाद आत्मा फिर से जन्म लेने के योग्य होती है.

Namrata Shastri

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Namrata Shastri

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