कैरियर

नौकरी न मिलने पर एक साथ सैकड़ों लड़कों ने नदी में लगाईं छलांग

आज अच्छी नौकरी की इतनी मारामारी है कि लोग अपनी जान तक दे रहे हैं.

घर परिवार की ज़िम्मेदारी संभालते हुए ये लोग अच्छी नौकरी की तलाश में जुटे रहते हैं. पढ़ाई के बाद जब ठीक तरह की नौकरी नहीं मिलती तो युवा निराश हो जाते हैं. कई बार लोग आत्महत्या कर लेते हैं.

ये मामला थोड़ा अलग है.

यहाँ पर एक साथ सैकड़ों लड़कों ने नदी में कूदकर अपनी जान देने की कोशिश की. एआईएसएफ बल के 275 से ज्यादा कर्मियों ने असम में स्थायी नियुक्ति की मांग को लेकर दूसरे सरायघाट पुल से ब्रह्मपुत्र नदी में कूदने की कोशिश की.

पुलिस ने बताया कि एसपीओ कर्मी अपनी खाकी वर्दी पहने पुल पर पहुंचे और वहां से कूदने की कोशिश की हालांकि उनके प्रदर्शन के मद्देनजर पहले से वहां बड़ी संख्या में तैनात असम पुलिस और सीआरपीएफ के कर्मियों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया.

मौके पर पुलिस पहुँच गई और बड़ा हादसा होने से रुक गया.

इन लोगों को पुलिस ने रोका. मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इस दौरान दोनों पक्षों में झड़प शुरू हो गई. उग्र एसपीओ कर्मियों को नियंत्रित करने के लिये पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा. उन्होंने कहा कि लाठीचार्ज के दौरान किसी के घायल होने की खबर नहीं है.

अब ज़रा सोचिए जब इस तरह के सेना की अच्छी नौकरी को लेकर भी लोग अपनी जान दे रहे हैं तो आम नौकरी की तो बात ही अलग है. आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि सेना में भर्ती निकलती रहती है.

नौजवानों को अच्छी नौकरी मिलती रहती है, लेकिन असम की इस घटना ने इस नौकरी को भी अलग खड़ा कर दिया है.

एसपीओ जवानों के आन्दोलन के चलते पुल पर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया.

यह जाम लगभग 3 घंटे तक लगा रहा, जिसके चलते जाम बढ़ते-बढ़ते  कई किलोमीटर तक फैल गया.

खबरों के मुताबिक़ राज्य के पहाड़ी जिले डिमा हसाउ में जिस समय विद्रोह चरम पर था, उस समय राज्य सरकार ने अस्थायी तौर पर सोशल पुलिस आफिसर (एसपीओ) का गठन कर जवानों को बाकायदा प्रशिक्षण देकर उन्हें सुरक्षा बलों के साथ मदद के लिए तैनात किया था.

हालांकि उनकी अच्छी नौकरी स्थाई नहीं की गई थी.

बाद में राजनीतिक कारणों से सत्ता में बैठे नेता एसपीओ की नौकरी के नियमित करने का सिर्फ मौद्रिक आश्वासन देते रहे, लेकिन इसको लेकर किसी भी सरकार ने कुछ नहीं किया. एसपीओ जवान पिछले 10 वर्षो से समय-समय पर आन्दोलन करते हुए सरकार से नौकरी को स्थाई  करने की मांग करते आ रहे हैं लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी. जिसके मद्देनज़र सोमवार को 272 एसपीओ जवान नौकरी स्थायीकरण की मांग को लेकर सराईघाट पुल पर एकत्र हुए.

अगर देश में अच्छी नौकरी की यही दशा रहेगी, तो किस तरह से काम चलेगा. हमारे यहाँ के युवाओं को नौकरी न मिलने की दशा पर वो डिप्रेशन में जा सकते हैं. इतना ही नहीं कई मामले तो ऐसे भी आए हैं जिसमें लोगों ने आत्महत्या तक कर ली है.

सरकार को देश में नौकरी के मामले को संजीदगी से लेना चाहिए और देश के युवाओं के लिए कुछ करना चाहिए.

Shweta Singh

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Shweta Singh

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