पाकिस्तान और भारत – भारत में जिस तरह गांधी जी को महत्व और सम्मान दिया जाता है ठीक उसी तरह भारत के पड़ोसी और सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी देश पाकिस्तान में जिन्ना को मान और सम्मान मिलता है।
भारत को दो भागों में बांटने के लिए जिम्मेदार कहीं ना कहीं जिन्ना भी हैं। उन्हें ही अपना एक अलग देश चाहिए था जहां पर उनके धर्म के लोग हों और उनकी हुकूमत चले। अपना राज चलाने के लिए ही जिन्ना ने पाकिस्तान बनाया था।
1947 में पाकिस्तान और भारत के बंटवारे के दौरान कई लोगों के मन में काफी सारे सवाल उठे थे। इनमें से कुछ सवालों के जवाब तो खुद वो नेता भी नहीं दे पाए थे जो बंटवारे में शामिल थे और उसके लिए जिम्मेदार भी थे। बात करें जिन्ना की तो बंटवारे के फैसले में जिन्ना का गुरुर काफी हद तक जिम्मेवार था। वो नेहरू को प्रधानमंत्री के पद पर नहीं देखना चाहते थे और वो गांधी जी के प्रति भी ईर्ष्या रखते थे। उन्हें लगता था कि हिंदुस्तान में मुसलमानों के हितों की हिफाजत नहीं हो पाएगी लेकिन दोस्तों पाकिस्तान के इस महात्मा के बारे में एक ऐसी बात है जिसके बारे में आप जान लें तो आपको पैरों तले जमीन खिसक जाएगी।
पाकिस्तान बनाने की रखी मांग
पाकिस्तान बनाने के लिए जिन्ना ने देशभर में घूम-घूमकर प्रचार किया था और लोगों से पाकिस्तान और भारत के बंटवारे की मांग की थी। पाकिस्तान और भारत के बंटवारे के बाद उन्हें ग्रेट लीडर कहा जाने लगा। जिन्ना के बारे में कुछ राज़ ऐसे हैं जो अगर खुल जाते तो शायद हिंदुस्तान और पाकिस्तान दो अलग देश ना होते।
क्या हिंदू थे जिन्ना
मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में कहा जाता है कि उनका जन्म एक हिंदू राजपूत परिवार में हुआ था जोकि मछली का व्यापार किया करता था। हिंदू होकर मछलियों का व्यवसाय करने पर उन्हें बहुत ताने और अपमान सहना पड़ता था। इससे छुटकारा पाने के लिए उन्होंने अपना धर्म बदलने का फैसला किया। मोहम्मद अली जिन्ना और उनके मां-बाप और चार भाईयों ने हिंदू धर्म बदलकर मुस्लिम बनना स्वीकार किया। उनका परिवार मुसलमान बनकर कराची में रहने लगा। राजनीति में आने से कुछ समय पहले तक जिन्ना खुद को मुसलमान बताने से कतराते थे। खबरों की मानें तो जिन्ना के परिवार के कुछ सदस्य आज भी गुजरात में हिंदू बनकर रहते हैं। मेरा मतलब है कि वो हिंदू धर्म के अनुयायी हैं।
फेफडे थे कमजोर
जिन्ना को फेफडों की बीमारी थी लेकिन उन्होंने ये बात सबसे छिपाई थी। उनके फेफड़े कमजोर थे जिसकी वजह से उन्हेंटीबी की बीमारी हो गई थी। उनकी इस बीमारी के बारे में बस उनकी बहन फातिमा और उनके डॉक्टर को ही पता था। जिन्ना ने अपने पिता की तरह अपने जुनून और ताकत के चक्कर में भारत को दो हिस्सों में बांट दिया।
खुद वॉयसराय ने अपनी डायरी में लिखा था कि मोहम्मद अली जिन्ना एक बीमार इंसान थे लेकिन उन्होंने कभी अपनी बीमारी को सीरियसली नहीं लिया था। ब्रिटिश भारत के आखिरी वॉयसराय लुईस माउंटबेटन ने कहा था कि अगर उन्हें जिन्ना की इस बीमारी के बारे में पता होता तो वो कभी पाकिस्तान और भारत का बंटवारा नहीं होने देते। पाकिस्तान बनने के 13 महीने बाद ही जिन्ना ने दुनिया को अलविदा कह दिया।