कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना – मोहम्मद अली जिन्ना वो शख्स जिन्होंने पाकिस्तान नामक नए देश को अस्तित्व में लाया, वो शख्स जिसे भारत ने पहचान दिलाई, मगर उसने पाकिस्तान बनाकर देश के ही टुकड़े कर दिए.
पाकिस्तान के पहले कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना आज़ादी से एक हफ्ते पहले ही भारत से चुपचाप चले गए.
कभी भारत के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले जिन्ना को आखिर क्यों कोई मशहूर नेता विदा करने नहीं आया?
07 अगस्त 1947 का वो दिन कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना का भारत की धरती पर आखिरी दिन था. दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर एक डकोटा विमान तैयार खड़ा था जिन्ना को भारत से कराची पहुंचाने के लिए. देश के टुकड़े करने वाले जिन्ना को जाहिर है विदा करने कोई मशहूर हस्ती नहीं आई, जिन्ना को कार से एयरपोर्ट छोड़ा गया जिसमे उनकी बहन फातिमा के साथ रामकृष्ण डालमिया थे जो उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ने गए.
कहा जाता है कि जिन्ना को एयरपोर्ट पर मिलने बहुत कम लोग ही आए थे, वहां बिल्कुल सन्नाटा था.
जो चंद लोग आए थे जिन्ना ने उनसे हाथ मिलाया और तेज़ी से विमान की सीढ़िया चढ़ने. विमान में बैठने के बाद वो खिड़की से दिल्ली को तब तक देखते रहे जब तक विमान बहुत ऊंचाई पर नहीं पहुंच गया. जब सब कुछ बादलों के बीच खो गया तो जिन्ना ने धीरे से कहा ‘ ये भी खत्म हो गया. ’ इसके बाद पूरे सफर में जिन्ना चुप ही रहे.
71 वर्षीय मोहम्मद अली जिन्ना देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान की अगुवाई करने वाले थे. जिन्ना की वजह से जो बंटवारा हुआ इसमे इतिहास का सबसे बड़ा कत्लेआम हुआ. लाखों शरणार्थी अपने जमीन को छोड़कर दूसरे वतन में जा रहे थे. दोनों में भंयकर तबाही हुई.
कहा जाता है कि जिन्ना जिस दिन भारत से जाने वाले थे वो दिन काफी बिज़ी रहा उनके लिए. कराची जाने से पहले उन्होंने दिल्ली का अपना मकान 10, औरंगजेब रोड (अब एपीजे कलाम रोड) को उद्योगपति राम कृष्ण डालमिया को तीन लाख रुपए में बेच दिया. हालांकि डालमिया ने भी बाद में ये मकान डच दूतावास को बेच दिया. इन दिनों में उसमें डच एंबेसडर रहते हैं. दिन में वो कई लोगों से मिले. डालमिया भी उनसे मिलने आए. उनकी बेटी उस दिन मुंबई में ही थी. लेकिन ना तो उनकी उससे बात ही हुई और ना ही वो उनसे मिली आई. बेटी से वो नाराज जरूर थे, क्योंकि उसने उनकी मर्जी के खिलाफ नेविले वाडिया से शादी कर ली थी. उसने उनके साथ पाकिस्तान जाने से साफ इनकार कर दिया था.
दिल्ली से कराची पहुंचने पर कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना का ज़बर्दस्त स्वागत हुआ. हज़ारों की संख्या में लोग उनके स्वागत के लिए खड़े थे.. कायदे आजम जिंदाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लग रहे थे. इसके बाद हवाई अड्डे से उनका काफिला कराची की सडक़ों पर निकला. सडक़ों के दोनों ओर लोग उनके स्वागत के लिए इकट्ठा थे. जिन्ना ये सोचकर मुंबई का मकान छोड़ गए थे कि वो कभी वहां फिर वापस लौट सकेंगे. लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ.
बंटवारे का जो दर्द वो लाखों लोगों को दे गए उस दर्द से खुद भी बच पाएं और बंटवारे के सालभर बाद ही उनकी मौत हो गई.
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