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झारखंडी महादेव : ऐसा शिव मंदिर जहाँ नमाज़ और पूजा दोनों होती है

झारखंडी महादेव

झारखंडी महादेव – शिवलिंग के सामने कोई मुस्लिम सिर झुका सकता है?

शिव हिन्दुओं के सबसे पूजनीय देवताओं में से एक है. शिव की गिनती त्रिदेवों में होती है. शिव का पूजन शिव लिंग के रूप में किया जाता है. ये बात आश्चर्यचकित करने वाली परन्तु सत्य है. एक ऐसा शिवलिंग है जिसपर हिन्दू जल चढ़ाते है और मुस्लिम उसका सजदा करते है.

आइये जानते है इस अनोखे शिवलिंग के बारे में…

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उत्तरप्रदेश में भारत के कुछ सबसे पुराने और प्रसिद्ध मंदिर है. उत्तरप्रदेश को ही राम और कृष्ण की धरती माना जाता है.

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उत्तरप्रदेश को ही शिव का स्थान माना जाता है. उत्तरप्रदेश के गोरखपुर ज़िले से कुछ दूर एक गाँव है सरया तिवारी. इस गाँव में शिव का एक प्राचीन मंदिर है इसका नाम झारखंडी महादेव है. इस मंदिर की बहुत सी खासियत है.

इस मंदिर की सबसे पहली खासियत जो आपको सबसे पहले पता चलती है वो ये है कि इस मंदिर में कोई छत नहीं है.

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ऐसा नहीं है कि इस यहाँ छत बनाने की कोशिश नहीं की गयी. हर बार कोशिश करने पर भी कभी छत नहीं बन पायी. आज झारखंडी महादेव शिवलिंग खुले प्रांगण में ही स्थित है.

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झारखंडी महादेव के शिवलिंग के बारे सबसे खास और अनोखी बात ये है कि इस शिवलिंग को हिन्दू और मुसलमान एक जैसी श्रद्धा से पूजते है.

झारखंडी महादेव एक स्वयंभू शिवलिंग है अर्थात ये शिवलिंग प्रकट हुआ था.

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स्वयंभू शिवलिंग में ये शिवलिंग सबसे बड़ा है. इसलिए ये हिन्दुओं की श्रद्धा का केंद्र है. लेकिन मुसलमानों की श्रद्धा का क्या कारण है ? आइये जानते है…

इस शिवलिंग की प्रसिद्धि सुनकर महमूद गजनवी ने इसे तोड़ने की कोशिश की थी.

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सब तरह से प्रयास करने के बाद महमूद गजनवी और उसके सैनिक इस शिवलिंग को तोड़ नहीं सके. अंत में थक हार कर गजनवी ने इस शिवलिंग पर कुरान का पवित्र कलमा “लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र् रसूलुल्लाह’ ” लिखवा दिया ये सोचकर कि अब हिन्दू इसकी पूजा नहीं करेंगे.

गजनवी के कलमा लिखवाने के बाद तो ये शिवलिंग और भी प्रसिद्ध हो गया.

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आज के समय इस शिवलिंग को हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोग प्रार्थना का केंद्र मानते है. जहाँ सावन के महीने में लाखों हिन्दू श्रद्धालु इस जगह पूजा करने आते है वहीँ बहुत से मुस्लिम भी यहाँ आकर नमाज़ पढ़ते है.

आज  हिन्दू मुस्लिम सौहार्द को ख़राब करने वाली तमाम घटनाओं के बीच हिन्दू मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक बन चुका है. इस मंदिर के पास एक तालाब भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि इस तालाब में स्नान करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है.