भगवान यीशु गाय को माँ मानते थे – भगवान यीशु का जन्म गोशाला में हुआ था.
इस बात को आप यीशु के जन्म के समय लिखी हुई कहानियों में पढ़ सकते हैं.
फलस्तीनी शहर बेथलहम को ईसा मसीह (जीसस क्राइस्ट) के जन्म स्थान और ईसाइयों की सबसे पवित्र जगहों में से एक माना जाता है.
यह जगह दुनिया के सबसे पुराने ईसाई समुदाय का निवास स्थान है. यीशु ने इसाई धर्म की स्थापना की थी. यह बात तो सभी जानते हैं लेकिन आपको आज बता दें कि यीशु ने कभी भी हिंसा का समर्थन नहीं किया था. यहाँ तक कि इसाई धर्म का पवित्र ग्रन्थ बायबल भी कहीं भी हिंसा का समर्थन नहीं करती है. बायबल में कहीं भी नहीं लिखा है कि गोहत्या का आदेश भगवान इंसान को देता है.
भगवान यीशु के शरीर को कील से जब छलनी किया गया था तब भी भगवान यीशु के यही वचन थे कि ऐसा करने वाले को क्षमा कीजिये.
अब यहाँ यह सोचने वाली बात है कि जो देव अपनी मृत्यु करने वाले को भी माफ़ करने की बात कहता है क्या वह अपने शिष्यों को मांस खाने या गौ-हत्या करने के लिए प्रेरित कर सकता है? भगवान यीशु गाय को माँ मानते थे !
भगवान यीशु गाय को माँ मानते थे लेकिन आज इसाई धर्म में गाय के मांस को खूब चाव से खाया जा रहा है. असल में अंग्रेज जब भारत में आये थे तो उन्होंने यहाँ गाय के कटने के लिए स्थान बनाये थे, क्योकि अंग्रेज शाकाहारी नहीं थे और इसलिए घोड़े का मांस खाने वाले अंग्रेज भारत में बैल का मांस खाते थे.
लेकिन बायबल में बैल देवता है –
बुल आफ हैवन का जिक्र कई बार बायबल में किया गया है.
प्राचीन विश्व के दौरान पवित्र बैल की पूजा पश्चिमी विश्व की स्वर्ण बछड़े की प्रतिमा से सम्बंधित बाइबिल के प्रसंग में सर्वाधिक समानता रखती है. यह प्रतिमा पर्वत की चोटी के भ्रमण के दौरान यहूदी संत मोसेज़ द्वारा पीछे छोड़ दिए गए लोगों द्वारा बनायी गयी थी और सिनाइ (एक्सोडस) के निर्जन प्रदेश में यहूदियों द्वारा इसकी पूजा की जाती थी. मर्दुक “उटू का बैल” कहा जाता है. कई जगह साफ़ तौर पर जिक्र किया गया है कि यीशु गाय को पवित्र मानते थे. जहाँ यीशु का जन्म हुआ था वहां भी गाय थीं और जन्म लेते ही यीशु ने गाय को देखा था. तभी से यीशु का लगाव गाय से काफी था.
गाय की मूर्तियों का मिलना –
पलेस्टाइन देश जहाँ पर खिस्ती धर्म की स्थापना हुई थी, वहां जब खुदाई की गयी थी तो वहां पर गाय की बड़ी-बड़ी मुर्तियां मिली थी. ऐसा कई जगह हुआ है कि खुदाई में गाय और बैल मिले हैं. साथ ही साथ दीवारों पर कई तरह की चित्रकारी भी मिली हैं जहाँ लोग गाय की पूजा करते हुए मिले हैं. इस पूरे दृश्य से साफ़ होता है कि या तो जहाँ इस तरह की चीजें मिली हैं वहां पर कभी हिन्दू धर्म था. इस बात को तो कोई मानता नहीं है तो इसका अर्थ है कि विश्व के एक बड़े हिस्से पर गाय की पूजा की जाती थी.
बायबल में कई जगह गाय का जिक्र है और जहाँ यीशु के जीवन का जिक्र हुआ है वहां गाय और बैलों की पवित्रता का भी जिक्र है. भगवान यीशु गाय को माँ मानते थे. जो ईसाई लोग आज मांस खाते हैं या फिर गाय खाते हैं असल में वह यीशु के भक्त ही नहीं हैं क्योकि यीशु ने कभी नहीं बोला कि आप बेजुबान जानवरों को मार कर खा जाओ.
(अधिक जानकारी के लिए पढ़े- पुस्तक देशी गौ-एक कल्पवृक्ष- लेखक सुभाष पालेकर. यहाँ आपको गाय से जुडी हुई अन्य जानकारी भी प्राप्त हो जायेंगी.)
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