रानी लक्ष्मी बाई अपनी वीरता और बहादुरी के नाम से जानी जाती है. उनकी वीरता की गाथा आज भी झाँसी में गूंजती है.
इतिहास के पन्नो में रानी लक्ष्मी बाई का गौरवगान बहुत सम्मान पूर्वक लिखा गया है.
यह रानी एक ऐसी वीरांगना थी. जिसके नाम से अंग्रेजों के होश उड़ जाते थे. अंग्रेजों के साथ एक राजा भी था जो उस समय रानी लक्ष्मी के नाम से डरता था और उसी देश द्रोही राजा के नीचता कारण रानी लक्ष्मी बाई की मौत भी हुई.
आइये जानते हैं कौन था वह राजा और क्यों डरता था लक्ष्मी बाई से
- वह राजा ग्वालियर के महाराज जयाजीराव सिंधिया थे.
- जयाजीराव सिंधिया देश द्रोही राजाओं में से एक था और यह राजा अंग्रेजों के समर्थक भी था.
- जयाजीराव का अग्रेजों से लगाव देखकर ग्वालियर की कुछ सेना अपने राजा से नफरत करने लगी थी. इसलिए जब रानी लक्ष्मी बाई कालपी से ग्वालियर आई तब राजा से नाराज बागी सेना रानी लक्ष्मी बाई से जा मिली.
- रानी लक्ष्मी बाई ग्वालियर के सेनाओं और जनता के समर्थन से ग्वालियर के किले में अपना कब्ज़ा कर लिया.
- रानी का किले पर कब्जा होते ही जयाजीराव सिंधिया ग्वालियर छोड़कर भाग गए.
- सबको लगता था की राजा जयाजीराव सिंधिया आगरा भाग गए है. लेकिन यह बात बाद में सामने आई . जब गदर खत्म हुआ.
- कई वर्षों बाद पता चला कि जयाजीराव सिंधिया आगरा नहीं, बल्कि मुरैना के समीप स्थित आसन नदी के पास बने माता हरिसिद्धि के मंदिर में छुपे हुए थे .
- यह वही मंदिर है जिसको कुंति भोज, कुंती के पिता द्वारा अपनी राजधानी कुंतलपुर की आसन नदी में बनवाया गया था, जहाँ कुंती ने कर्ण को जन्म देकर नदी में बहा दिया था.
- जब जयाजीराव इस मंदिर में छुपा था, तब इस मंदिर में पुजारी कालूराम नामक पंडित था, जिसने राजा के छुपने और रहने की व्यवस्था की थी. उनके साथ सेवक और सैनिको के रुकने के लिए भी कमरे बनवाये गए थे.
- रियासत के रीजेंट दिनकर राव राजबाड़े द्वारा दबाव दिए जाने पर जयाजीराव सिंधिया कुतवार अंग्रेजो के पास आगरा आ गए .
- जयाजीराव सिंधिया ने अंग्रेजो के साथ ,एक कूटनीति तैयार की और ह्यूरोज द्वारा जयाजी राव को उसके बागी सेना के विरुद्ध लड़ने हेतु तैयार की गई सेना का मुख्या बना दिया गया. जब जयाजीराव अंगेजी सैनिको के साथ रानी से लड़ने आया, तब अपने महाराज को सामने खड़ा देख ग्वालियर की बागी सेनाओं ने रानी को अकेला छोड़ दिया.
इसतरह से रानी लक्ष्मी बाई को अंग्रेजो द्वारा धोखे से घेरा गया और रानी लक्ष्मी बाई को मार दिया गया. इस तरह रानी लक्ष्मी बाई अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गई.