राजनीति

स्वर्गीय जयललिता की आत्मा कर रही है अपने इन खास लोगों से बात !

तमिलनाडु की राजनीति में जिस तरह का तूफान अभी आया हुआ है वह वाकई अन्ना द्रमुक पार्टी के लिए शर्म की बात है.

जब तक पार्टी की माँ जयललिता जिंदा थी तब तक उन्होंने पार्टी को वाकई एकजुट करके रखा था. लेकिन आज जब अम्मा इस दुनिया में नहीं हैं तब ऐसा लगने लगा है जैसे कि तमिलनाडु अनाथ हो गया है.

महाभारत में जैसे आदरणीय भीष्म पितामह थे उसी तरह से कलयुग में तमिलनाडु के लिए अम्मा ही सब कुछ रही थी.

आज जिस राजनैतिक तूफ़ान का सामना तमिलनाडु कर रहा है वह निश्चित रूप से अम्मा की आत्मा के लिए दुखद है.

यह सच है कि अम्मा ने सदा से अपने नेता पन्नीरसेल्वम पर पूरा विश्वास किया था. अपनी दोस्त शशिकला पर भी जयललिता ने इतना भरोसा कभी नहींकिया था कि जब वह जेल गयी या बीमार हुई तो उन्होंने शशिकला को मुख्यमंत्री का पद दिया हो. राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री का भी विश्वास पन्नीरसेल्वम पर हमेशा से रहा है. लेकिन यदि आप तमिलनाडु के राजनैतिक तूफ़ान को समझना चाहते हैं तो उसके लिए पहले यह समझ लीजिये कि अभी लोकसभा में एआईएडीएमके के कुछ 37 सदस्य हैं और वहीं राज्यसभा में भी इनके कुछ 11 सदस्य हैं. असली विवाद तमिलनाडु में यहीं से शुरू होता है.

जयललिता ने दिया हमेशा मोदी का साथ

जयललिता हमेशा से बीजेपी पार्टी के साथ खड़ी रही हैं.

खासकर नरेद्र मोदी से इनकी दोस्ती उन दिनों की है जब अम्मा पर जानलेवा हमला होने वाला था. इसबात को जयललिता ने सदा याद रखा और मोदी से अपनी दोस्ती इन्होनें राज्यसभा में कई बार समर्थन देकर निभाई भी है. अभी सरकार बनाने को लेकर जो विवाद राज्य में चल रहा है उसके पीछे केंद्र में बीजेपी को कमजोर करना है.

शशिकला की हुई कांग्रेस नेताओं से मुलाकात  

सूत्रों की मानें तो शशिकला कई बार कांग्रेस के बड़े नेताओं से मिल चुकी हैं.

बीजेपी को राज्यसभा में हमेशा से ही अन्ना द्रमुक पार्टी का समर्थन चाहिए होता है, लेकिन कांग्रेस चाहती है कि शशिकला मुख्यमंत्री बनें और इसके बाद वह कांग्रेस के लिए काम करें. कुछ करीबी सूत्रों की मानें तो पार्टी के आला कमान इस राजनैतिक तूफ़ान पर नजर बनाये हुए है. नाम बिना लिए कुछ लोगों का कहना है कि यदि शशिकला मुख्यमंत्री बनती हैं तो इसके बाद राज्यसभा और लोकसभा में बीजेपी का विरोध करने वालों की संख्या में इजाफा हो जायेगा.

एक तरह से तब तमिलनाडु में कांग्रेस की सरकार आ जाएगी.

लेकिन वहीँ दूसरी तरफ बीजेपी के बड़े ने इस स्थिति को पहले ही भांप लिया है और इसी के चलते बीजेपी अंदर खाने पन्नीरसेल्वम पर विश्वास दिखा रही है. पन्नीरसेल्वम से इस्तीफा वापिस लेने पर अगर किसी ने जोर डाला है तो वह केंद्र के कुछ बड़े नेता थे. ऐसा लगता है कि जैसे अम्मा के आदरणीय आत्मा ने पहले ही बीजेपी को इस चाल से वाकिफ करा दिया है. इसके बाद पन्नीरसेल्वम से जब अम्मा से बात की तो उन्होंने भी यही बोला है कि पन्नीरसेल्वम सिर्फ और सिर्फ अपने कर्म पर विश्वास करें और युद्ध के मैदान से इस तरह ना भागें.

आने वाले समय में निश्चित है कि पन्नीरसेल्वम विधानसभा में अपना बहुमत साबित करेंगे और अम्मा की विरासत को किसी और के हाथ में जाने से बचालेंगे.

अगर ऐसा नहीं होता है तो बीजेपी को केंद्र में बड़ा धक्का लगना निश्चित है.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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