हर माता पिता की इच्छा रहती है कि उसके घर जो भी संतान पैदा हो सुंदर, गोरा, और स्वस्थ हो.
कई लोग तो बच्चा गोरा पैदा हो इस लिए बच्चे के पैदा होने से पहले बच्चे की माँ को दूध में केशर मिला कर पिलाते हैं और भी कई उपाय करते हैं.
लेकिन भारत में एक ऐसी जगह है जहाँ गोरे बच्चे को हीन भावना से देखा जाता है और पैदा होने के पांच माह बाद उसके गोरे रंग की वजह से मार दिया जाता है.
यह जगह है अंडमान, जो भारत के केंद्र शासित प्रदेशों में से एक है.
अंडमान में जारवा जनजाति पाई जाती है जो अपने समुदाय में गोरा बच्चा पैदा होने पर उससे नफरत करते हैं और उसको अपने समुदाय से अलग मान कर मार देते हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अंडमान में परम्परा के नाम पर जारवा जनजाति लोग अपने ही बच्चों को मार रहे हैं. जारवा जनजाति के लोगों के इस कृत्य से पुलिस भी परेशान है.
यहां गोरा बच्चा पैदा करने पर मां भी डरती है. यह जनजाति सिर्फ काले बच्चो को अपना मानती है और अपनाती है. गोर बच्चों को अपने समुदाय और समाज का हिस्सा नहीं मानती. बच्चे का वर्ण थोड़ा भी गोरा हो तो उसको दूसरे समुदाय का मानकर उसकी हत्या कर देता है
जारवा जनजाति की मान्यता है के अनुसार बच्चे को समुदाय से जुड़ी सभी महिलाएं अपना दूध पिलाती हैं. जिससे उनके समुदाय की शुद्धता और पवित्रता बनी रहती है.
जानकारी के अनुसार, अफ्रीका मूल के करीब 50 हजार साल पुराने जारवा समुदाय के लोगों का वर्ण बेहद काला होता है.
माना जाता है कि अंडमानद्वीप के उत्तरी इलाके में रहने वाली यह जनजाति 90 के दशक में पहली बार बाहरी दुनिया के संपर्क में आई थी. इस समुदाय में परम्परा के अनुसार यदि बच्चे की मां विधवा हो जाए या उसका पिता किसी दूसरे समुदाय का हो तो बच्चे को मार दिया जाता है.
समुदाय में इसके लिए कोई सजा भी नहीं है.
यह जनजाति अंडमान ट्रंक रोड के नजदीकी रिहायशी इलाकों में रहते हैं.
इस समुदाय के इलाके में बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित है.
इस 21वी सदी में…
इस तरह की रुढ़िवादी मान्यताएं ना जाने कब तक चलेगी और ना जाने कब तक अबोध बच्चों की हत्याओं का सिलसिला जारी रहेगा!