जापान का चीन पर हमला और जापानी सेना की क्रूरता को विश्व के इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज किया गया है, क्योंकि इस दौरान जापानी सेना की क्रूरता दिखाई वो बेहद ही खौफनाक थी।
अभी हाल ही में जापानी सोल्जर गिसाबुरो इकेदा के हाथ से लिखे इस कबूलनामे में 19 जून, 1938 की एक घटना का खुलासा किया गया है।
इसमें जापानी सेना की क्रूरता के नए कबूलनामे सामने आ रहे हैं। इसके मुताबिक, वर्ल्ड वॉर के दौरान जापानी सोल्जर्स ने एक हजार चीनी नागरिकों को जोंगमऊ शहर से बाहर निकाला और यैलो रिवर में डुबोकर मार डाला था। जापान के सोल्जर्स के ये कबूलनामें को चीन की ‘आर्काइव अथॉरिटी ऑफ सेकंड वर्ल्ड वॉर’ के 70 साल पूरे होने पर एक-एक कर जारी कर रही है
जापानी सेना की क्रूरता – नानजिंग नरसंहार में हुआ था 80 हजार महिलाओं का रेप-
इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं के खिलाफ ऐसी क्रूरता करना मानवों के इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक है, क्योंकि जब जापानी सैनिको ने चीन के नानजिंग शहर पर हमला किया था उस समय करीब 80 हजार चीनी महिलाओं के साथ रेप किया गया था।
वही करीब 3 लाख चीनी नागरिकों को बेरहमी से मौत के घाट उतर दिया गया।
ये आंकड़ा सिर्फ नानजिंग शहर पर किये गए हमले के दौरान 6 हफ्तों का है।
जापानी सैनिकों ने पूरे शहर को तबाह कर दिया था। जापान यहीं नहीं रुका, उसने उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी चीन पर अपना अधिकार कर लिया था, लेकिन पश्चिमी और उत्तरी-पश्चिमी हिस्से पर कब्जा जमाने में जापान नाकाम रहा।
एक के बाद एक जीत के बाद जापान ने 1941 में पर्ल हार्बर पर हमला कर दिया, जिसके बाद अमेरिका ने जापान के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। वहीं, सोवियत संघ ने जापान के कब्जे वाले मंचूरिया पर हमला कर दिया। इसके बाद अमेरिका चीन को जापान के खिलाफ युद्ध में मदद पहुंचाने लगा।
जापान ने कर दिया था सरेंडर –
जापान और चीन का ये युद्ध अब तक सेकंड वर्ल्ड वॉर का हिस्सा बन चुका था और अमेरिका से मदद मिलने के बाद जापान कमजोर पड़ने लग गया था। हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले के बाद जापान ने 1945 में अपनी हार मान ली और सरेंडर कर दिया।
चीन का दावा है कि इस युद्ध के दौरान चीन के नागारिकों और सैनिकों समेत कुल साढ़े तीन करोड़ लोग मारे गए थे।
वहीं, जापान की डिफेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, जापान के 2 लाख सैनिक मारे गए थे।