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जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान श्री कृष्ण के बारे में कुछ अद्भुत अनोखी बातें

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई|

जाके सिर मोर मुकट मेरो पति सोई||

श्री कृष्ण, शायद हिन्दू धर्म के सबसे प्रिय भगवान है. श्री कृष्ण है ही इतने बालसुलभ और नटखट कि लोग इन्हें अपना सखा साथी मानते है. बचपन में माखनचोर और फिर गीता का सन्देश देने वाले कृष्ण के बारे में शायद ही कोई होगा जो मुरली मनोहर श्री कृष्ण के बारे में नहीं जानता होगा. लेकिन आज हम आपको श्री कृष्ण के बारे में कुछ ऐसे बातें बताएँगे जो शायद आप नहीं जानते.

इस बार जन्माष्टमी के पूरे दिन रोहिणी नक्षत्र का काल रहेगा. श्री कृष्ण का जन्म भी रोहिणी नक्षत्र में ही हुआ था.

ये बात बहुत ही कम लोगों को पता है कि कृष्ण ने देवकी की 6 संतानों को कुछ समय के लिए जीवित किया था. ये संताने पूर्व जन्म में हिरण्यकश्यप के पोते थे जिन्हें श्राप मिला था.

गांधारी ने श्री कृष्ण को श्राप दिया था उसके फलित होने का कारण था कि कृष्ण, विष्णु के अवतार थे और पूर्व में विष्णु ने राम अवतार के रूप में धोखे से बाली का वध किया था. कृष्ण का वध करने वाला बहेलिया उसी बाली का अगला जन्म था. और राम ने बाली की पत्नी तारा को वचन दिया था कि  अगले जन्म में कृष्ण का वध शिकारी के रूप में बाली के द्वारा ही किया जाएगा.

जैसा की कहा जाता है श्री कृष्ण की 16000 रानियाँ थीलेकिन ये सत्य नहीं है. श्री कृष्ण की केवल 8 पटरानियाँ थी. जिनके नाम थे रुक्मणी,सत्यभामा,नाग्जनिती,कालिंदी,भद्रा,मित्रवंदा और लक्षामाना.

श्री कृष्ण के 8 रानियों से 80 संताने हुई थी. रुक्मणी से प्रधुम्न का जन्म हुआ, और सत्यभामा से होने वाले सबसे बड़े पुत्र संबा कारण बने यदु वंश के अंत का.

सुभद्रा श्री कृष्ण और बलराम की बहन थी. बलराम चाहते थे कि सुभद्रा का विवाह उनके प्रिय शिष्य दुर्योधन से हो लेकिन कृष्ण को दुर्योधन पसंद नहीं थे. लेकिन कृष्ण अपने बड़े भाई की इच्छा के विपरीत नहीं जा सकते थे इसलिए श्री कृष्ण ने अर्जुन को सुभद्रा को भागने का सुझाव दिया. समय के साथ बलराम की नाराज़गी दूर हुई और अर्जुन और सुभद्रा का विवाह इन्द्रप्रस्थ में संपन्न  हुआ.

राधा कृष्ण जिन्हें साथ साथ पूजा जाता है लेकिन आश्चर्य की बात है राधा का उल्लेख ना ही वेद व्यास रचित महाभारत में है ना ही श्रीमद्भगवत गीता में. ऐसा प्रतीत होता है कि राधा जयदेव की कृति थी. जो उनकी नृत्य नाटिका की नायिका थी.

कहा जाता है कि गीता का सन्देश महाभारत के युद्ध में सिर्फ अर्जुन को सुनाई दिया था परन्तु ये सत्य नहीं है युद्ध के समयश्री कृष्ण के साथ साथ अर्जुन के रथ की पताका पर विराजमान हनुमान और वेद व्यास के आशीर्वाद से महल में बैठे संजय ने भी सुना था.

श्री कृष्ण शायद हिन्दू ग्रंथों में सबसे ज्यादा बुद्धिमान और रहस्यमयी किरदार है. कोई भी श्री कृष्ण को नहीं समझ पाया है. एक ओर वो नटखट माखनचोर थे तो दूसरी तरफ वो गोपियों से प्रणय करते थे. वही कृष्ण राक्षसों का संहार करते है और वही कृष्ण गीता का उपदेश देते है जिसे समझकर पढने से सबका कल्याण होता है.

तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई|

छाड़ि दई कुलकि कानि कहा करिहै कोई||

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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