कुंडली और राशि का मिलान – हिन्दू धर्मं में जन्म कुंडली और राशि का विशेष महत्व होता है.
कहा जाता है कि जन्म के वक़्त जो विशेष ग्रह – नक्षत्र होता है, उसीके अनुसार इंसान की पूरी ज़िन्दगी चलती है.
इसलिए उस ग्रह -नक्षत्र को ध्यान में रखकर शिशु का नामकरण किया जाता है. ताकि उसको जीवन में सब तरह की सुखों की प्राप्ति हो उसके जीवन में कोई तकलीफ ना हो और कोई समस्या ना आये.
व्यक्ति की कुंडली के ग्रह -नक्षत्र के अनुसार ही उसके जीवनसाथी की कुंडली और राशि का मिलान कराया जाता है.
हिन्दू धर्म के अनुसार एक इंसान में 36 गुण होते है और विवाह के लिए इन्ही गुणों का आकलन कुंडली के अनुसार किया जाता है. जिस जोड़ी का गुण नहीं मिलता उसका विवाह नहीं करते क्योकि कहा जाता है कि एक वर और कन्या के कम से कम 18 गुण मिलना चाहिए. ये 18 गुण मिलने से उनका वैवाहिक जीवन सुखमय बीतता है.
तो आइये जानते है नक्षत्रों के बारे में – कुंडली और राशि का मिलान कैसे होता है और कौन सी राशि का विवाह किससे होना सुखमय होता है.
हमारा शरीर पांच तत्वों से बना है. यही तत्व हमारे राशि में देखे जाते हैं. वही तत्व कुंडली और राशि का मिलान में भी देखे जाता है. 12 राशि को कुल 4 तत्वों में रखा गया है. वेदों और संहिता के अनुसार अभिजित को मिलकर 28 नक्षत्र होते है, लेकिन सामान्य रूप से 27 नक्षत्रों को ही माना जाता है.
आकाशमंडल में चन्द्रमा मुख्य रूप से जिन तारा समूहों से अपनी परिक्रमा के दौरान माह में होकर गुजरता है उन्ही का संयोग नक्षत्र कहलाता है. इसके अलावा इसको पंचक, मूल, चर, दग्ध मिश्र, तिर्यंड मुख, ध्रुव, अधोमुख, और उर्ध्वमुख भी कहा जाता है
इन 27 नक्षत्रों के नाम इस तरह से हैं- स्वाति, अश्विनी, रोहिणी, अनुराधा, आद्रा, अश्लेशा, पुनर्वसु, भरणी, चित्रा, पुष्य, अश्लेशा, अनुराधा, मघा, ज्येष्ठा, हस्त, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराफाल्गुनी, पूर्वाषाढा, धनिष्ठा, शतभिषा, कृत्तिका, अनुराधा, श्रवण, रेवती, विशाखा और पूर्वाफाल्गुनी, आदि है.
12 राशि को कुल चार चरणों में बांटा गया है. उसी अनुसार इन 27 नक्षत्रों को भी चार चरणों में रखा गया है. एक राशि में तीन नक्षत्रों के 9 चरण आते हैं और विवाह के दौरान कन्या और वर की जन्म कुंडली से इन्ही नक्षत्रों का मिलान कर बताया जाता है कि वर वधु के कितने गुण मिल रहे है.
आइये जानते हैं कौन से है वो चार चरण जिसे मिलान में देखा जाता है.
पृथ्वी तत्व
इसके अंतर्गत वृष, मकर और कन्या राशि आती है.
जल तत्व
इसके अंतर्गत वृश्चिक, मीन और कर्क राशि आती है.
अग्नि तत्व
इसके अंतर्गत धनु, मेष और सिंह को रखा गया है.
वायु तत्व
इसके अंतर्गत तुला, कुम्भ और मिथुन राशि आती है.
जल धरती को सुन्दरता देता है और अग्नि वायु से जलती है, वैसे ही पृथ्वी तत्व (वृष, मकर और कन्या) को जल तत्व (वृश्चिक ,मीन और कर्क ) और अग्नि तत्व (धनु, मेष और सिंह) वाले को वायु तत्व (तुला , कुम्भ और मिथुन) राशी वालों के साथ विवाह करने पर दोनों की जोड़ी ख़ुशी खुशी साथ रह पाती है.
अब आप अपनी पसंद की लड़की या लड़के के साथ कुंडली और राशि का मिलान करके जीवन साथी का चुनाव कीजिये, बिना पंडित के बिना दक्षिणा दिए.
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