जांजगीर विष्णु का मंदिर – देश में कई ऐसे मंदिर रहे हैं जिनसे संबंधित अद्भुत जानकारी हम अक्सर सुनते हैं।
कभी-कभार यह अद्भुत जानकारी वैसे ही लगती है जैसे हम मंदिरों के बारे में जानकर भी अबतक अनभिज्ञ रह गये हो । यदि इस बात से असहमत हैं तो क्या देश में स्थापित सभी विष्णु मंदिर के बारे में आप जानते हैं ? शायद इस प्रश्न पर आप गहन विचार शुरु कर दें। क्योंकि देश में विष्णु पर बनें कई मंदिर हैं। जिनके बारे में जानकारी रखना असंभव ही है। जैसा कि छत्तीसगढ़ का यह मंदिर जो कई वर्षों से अधूरा है।
यह मंदिर क्यों अधूरा रहा जानने हेतु पढ़िए इसका इतिहास ।
यह जांजगीर विष्णु का मंदिर है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ क्षेत्र के एक बड़े वैष्णव मंदिर के लिए जाना जाता है। यह पूर्वाभिमुखी मंदिर जिसे छत्तीसगढ़ के कल्चुरी नरेश जाज्वल्य देव प्रथम ने भीमा तालाब के किनारे 11वीं शताब्दी में बनवाया था। जो भारतीय स्थापत्य का अनुपम उदाहरण है। और यह सप्तरथ योजना से बना मंदिर था। मगर अब उसके अवशेष ही वहां पाए जाते हैं ।
जांजगीर विष्णु का मंदिर का अधूरा निर्माण की कथा
जांजगीर विष्णु का मंदिर से जुड़ी कई दंतकथाएं प्रचलित है। जिनमें से एक हैं शिवरीनारायण मंदिर और जांजगीर मंदिर के बीच प्रतियोगिता की कथा। कथा के अनुसार भगवान नारायण ने एक घोषणा की थी। इसमें यह कहा गया जो मंदिर पहले तैयार होगा, वे उसी में प्रविष्ट होंगे। दोनों के बीच मंदिर निर्माण की प्रतियोगिता में शिवरीनारायण मंदिर पहले तैयार हो गया। इसमें जांजगीर मंदिर अधूरा रह गया।
एक अन्य दंतकथा के अनुसार, मंदिर से सटे भीमा तालाब को भीम ने पांच बार फावड़ा चलाकर खोदा था। किंवदंती के अनुसार भीम को मंदिर का शिल्पी भी बताया गया है। इसके अनुसार एक बार भीम और विश्वकर्मा में एक रात में मंदिर निर्माण की प्रतियोगिता आयोजित हुई थी। तब भीम ने इस मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ किया। मंदिर निर्माण के दौरान जब भीम की छेनी और हथौड़ा नीचे गिरता, तो उसका हाथी उसे वापस लाकर देता। लेकिन एक बार भीम की छेनी पास के तालाब में जा गिरी, जिसे हाथी वापस नहीं ला सका और सवेरा होने के बाद भीम प्रतियोगिता हार गया।
महाबलि भीम को प्रतियोगिता हारने का बहुत दुख हुआ और क्रोध में आकर भीम ने हाथी के दो टुकड़े कर दिया। मंदिर में भीम और हाथी की खंडित प्रतिमा को देखा जा सकता है।
अधूरा होने के बावजूद मंदिर पर अंकित विचित्र विष्णु प्रतिमाएं
जांजगीर विष्णु का मंदिर के बारे में प्रचलित दंतकथाएं उसके अधूरेपन की कथा को स्पष्ट बयान कर रही है। लेकिन इसको सौभाग्य माना जाए या दुर्भाग्य की छत्तीसगढ़ में सभी वैष्णव मंदिर की तुलना में जांजगीर मंदिर पर विष्णु अवतार के अधिक चित्र अंकित है। इसमें विष्णु के दशावतारों जैसे राम, कृष्ण, वामन और नरसिंह आदि की प्रतिमाएं देखी जा सकती है। हालांकि इसके बावजूद जांजगीर मंदिर पर विष्णु के अन्य मंदिरों की तरह रौनक नहीं देखी जाती है।
जांजगीर विष्णु का मंदिर का इतिहास जानने के बाद क्या आप इस बाद से सहमत हैं कि कई बार हम सब कुछ जानकर भी अनभिज्ञ ही रहते हैं। जो विष्णु का इस जांजगीर मंदिर के बारे में पढ़ कर स्पष्ट हो जाता है ।
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