जनार्दन नवले – भारत एक ऐसा देश जहाँ क्रिकेट को धर्म और क्रिकेटर को भगवान का दर्जा दिया गया है.
भारत जैसे देश में ऐसा कोई शख्स नहीं होगा जिसने कभी क्रिकेट देखा या खेला नही होगा. तो कहने का मतलब यही है कि हमारे लिए क्रिकेट कुछ अलग ही चीज़ है लोग यहाँ पर क्रिकेट के लिए पागल है. हालाँकि ये हम सभी जानते है कि क्रिकेट की शुरुआत किसी और ही देश में हुई थी.
लेकिन जिस सिद्दत से भारत में क्रिकेट खेला जाता है उससे तो यही लगता है कि क्रिकेट को जन्म देने वाला देश भारत ही है.
आज हम आपको भारतीय क्रिकेट के शुरूआती दिनों की कुछ बातें बताने जा रहे है.
आज हम आपको भारत की तरफ से पहली गेंद खेलने वाले क्रिकेटर के बारे में बताने जा रहे है. आज भले ही भारतीय बल्लेबाज शतक पे शतक बनाते है लेकिन भारतीय बल्लेबाजी की शुरुआत आज से 85 साल पहले हुई थी जब उस भारतीय क्रिकेटर ने सिर्फ 12 रन बनाये थे.
ये बात आज से 85 साल पहले की है जब 25 जून 1932 को भारतीय टीम अपना पहला और उस दौरे का एकमात्र टेस्ट मैच खेलने इंग्लैंड गई थी. ये मैच लंदन के लॉर्ड्स मैदान पर हुआ था. इस मैच में भारतीय टीम की तरफ से ओपनिंग करने जनार्दन नवले उतरे थे. उन्होंने भारत की तरफ से पहली गेंद खेली थी और इसी के साथ उन्होंने इतिहास में अपना नाम दर्ज कर दिया था. वे भारत की तरफ से पहली गेंद खेलने वाले बल्लेबाज बने.
हालाँकि इस मैच में भारतीय टीम का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और उनकी 158 रनों से हार हो गई. जनार्दन नवले ने अपनी पहली पारी में सिर्फ 12 रन बनाये और दूसरी पारी में सिर्फ 13 रन ही बना पाए. हालाँकि ये कोई बेहतरीन आंकड़े नहीं है लेकिन इनका महत्व ही अलग है ये भारत के पहले बल्लेबाज का रिकॉर्ड है जिसने पहली गेंद खेली थी. कहीं ना कहीं ये भारतीय बल्लेबाजी की शुरुआत थी क्योंकि दुनिया को कई महान बल्लेबाज भारत से मिलने वाले थे.
बात अगर उस पहले भारतीय बल्लेबाज जनार्दन नवले की करें तो उनका जन्म 7 दिसंबर 1902 को महाराष्ट्र के फुलगाँव में हुआ था. उनको भारतीय टीम में बल्लेबाज विकेटकीपर के रूप में जगह दी गई थी. उन्हें उस समय का सबसे तेज रफ़्तार विकेट कीपर बताया जाता है. हालाँकि उनका टेस्ट करियर ज्यादा लम्बा नहीं रहा उन्होंने अपने टेस्ट करियर में सिर्फ दो ही टेस्ट मैच खेले थे. पहला लॉर्ड्स के मैदान में इंग्लैंड के खिलाफ और दूसरा भारतीय जमीं पर भी इंग्लैंड के खिलाफ ही. इसके बाद उनको कभी भारतीय टीम में नहीं चुना गया और उनका क्रिकेट करियर वहीं ख़तम हो गया.
क्रिकेट में इतिहास रचने के बाद भी ये क्रिकेटर बाद में गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर हो गया. बताया जाता है कि अपने आखिरी दिनों में जनार्दन नवले पुणे की किसी शुगर मिल में गार्ड की नौकरी करते थे. बाद में 7 सितम्बर 1979 को उनकी पुणे में ही मृत्यु हो गई.
आज भले ही भारतीय बल्लेबाजों की दुनिया में धाक जमी हुई है लेकिन इसकी शुरूआत करने वाले बल्लेबाज जनार्दन नवले ही थे.
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