रूस की एक महिला फोटोग्राफर जाना रामनोवा को ज़िंदगी की तस्वीरें लेने का चाव है|
अपने इसी शौंक के चलते उन्होनें पाँच साल लगाए एक ऐसी फोटो श्रिन्ख्ला तैयार करने में जिस में उन्होंने 40वें साप्ताह में गर्भवती महिलाओं की अपने परिवार के साथ सोते हुए तस्वीरें खींचीं हैं|
जाना ने इस श्रिन्ख्ला का नाम रखा है “वेटिंग” यानी कि इंतज़ार|
इस फोटो सीरीज़ में उन्हों ने एक गर्भवती महिला के प्राकृतिक सौंदर्य, मानसिक अवस्था, अपने परिवार के साथ तालमेल आदि को दर्शाने की कोशिश की है, जब वो अपने गर्भ के 40वें साप्ताह में होती है|
उन्होंने ऐसी 40 तस्वीरें इस सीरीज़ में रखी हैं जो रोज़मर्रा की ज़िंदगी से मामूली परिवारों की तस्वीरें हैं|
जाना का कहना है कि पहले उन्होंने ये तस्वीरें इसलिए लेनी शुरू की, क्योंकि वे सोच रही थीं कि शायद ऐसी तस्वीरों में पति पत्नी के आपसी संबंधों के बारे में कोई और सिरा उन्हें मिल जाए जो अभी तक ज़ाहिर नहीं हुआ है|
अपने साक्षात्कार में जाना ने ये भी कहा कि वे लोगों के उन के प्रति भरोसे को देख कर भी काफ़ी प्रभावित हुईं जो उन्होंने एक अजनबी फोटोग्राफर को अपने प्राइवेट लम्हों में अपने घर में दाखिल होने दिया और उन्हें तस्वीरें भी लेने दीं|
वे अपने दोस्तों के ज़रिए, अपने दोस्तों के दोस्तों के ज़रिए और सोशियल मीडीया के ज़रिए ऐसे युवा दंपत्तियों से मिली जो माता पिता बनने वाले थे और फिर उन से अनुमति ले कर ऐसी तस्वीरें लीं| वो अपने आप को भाग्यशाली मानती हैं कि आज के अविश्वास और धोखाधड़ी के युग में उन्हें ऐसे लोग मिले जिन्होने ने उन्हें रात के समय अपने कमरे में एक सीढ़ी पर खड़े हो कर फोटो लेने की अनुमति दे दी|
जाना कहती हैं कि गर्भ के आख़री कुछ दिन बेहद रोमांचक होते हैं| नयी आशायें, नये इरादे, ज़िंदगी में आने वाले बदलाव और कैसे पूरी ज़िंदगी अपनी नहीं रहती, यही सब बातें नये-नये माता पिता बनने वाले दंपत्ति करते हैं| इन्हीं भावनाओं को अपने कैमरे में क़ैद कर लेने की इच्छा से “वेटिंग” का जन्म हुआ|
जाना ने बताया की उन का ये अनुभव काफ़ी दिलचस्प रहा, ना सिर्फ़ इसलिए की उन्हें नये लोग मिले, बल्कि इसलिए भी की उन्हें कई परिवारों के रहन सहन, उन के शयनकक्ष, उन की दीवारों, उन के बच्चों के खिलौनों, उन के मोबाइल फ़ोन और उन की किस्म-किस्म की बिस्तर की चादरों से भी मिलने का मौका मिला|
उन के अनुसार “वेटिंग” सोवियत रूस की एक अनोखी कहानी है जो गुज़र चुके और आने वाले कल को एक साथ मिलाती है|
अब ये पागलपन है या क्या हम नहीं जानते, लेकिन इतना ज़रूर कहेंगे कि दुनिया अजब-गजब बातों और हरक़तों से भरी पड़ी है|
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