आज से करीब 98 वर्ष पूर्व अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के पास स्थित जलियांवाला बाग में ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने निहत्थे, शांत बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों को गोलियां चला के मार डाला था.
इस जघन्य हत्याकाण्ड ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला और इसके बाद स्वतंत्रता आंदोलन ने हिंसा की राह पकड़ ली.
तस्वीरे आज भी डायर की बर्बरता की कहानी बयां करती है.
1 – बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में रोलेट एक्ट, अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों व दो नेताओं सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में एक सभा रखी थी.
2 – लोग रोलेट एक्ट का विरोध न कर पाए इसलिए अंग्रेजो ने शहर में कर्फ्यू लगा दिया था, फिर भी इसमें सैंकड़ों लोग ऐसे भी थे, जो बैसाखी के मौके पर परिवार के साथ मेला देखने और शहर घूमने आए थे और सभा की खबर सुन कर वहां जा पहुंचे थे.
3 – करीब 5,000 लोग जलियांवाला बाग में इकट्ठे थे. ब्रिटिश सरकार के कई अधिकारियों को यह 1857 के गदर की पुनरावृत्ति जैसी परिस्थिति लग रही थी.
4 – जब नेता बाग में पड़ी रोड़ियों के ढेर पर खड़े हो कर भाषण दे रहे थे, तभी ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर 90 ब्रिटिश सैनिकों के साथे बाग को घेर कर लिया और बिना कोई चेतावनी दिए निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलानी शुरु कर दीं.
5 – बताया जाता है कि 10 मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाई गईं. कुछ लोग जान बचाने के लिए मैदान में मौजूद एकमात्र कुएं में कूद गए, पर देखते ही देखते वह कुआं भी लाशों से पट गया.
6 – जिस वक्त जलियांवाला बाग में जनरल डायर के आदेश पर गोलियां चल रही थीं, उस दौरान वहां खड़े उधमसिंह ने देशवासियों के रक्त से रंगी धरती देखी तो जलियांवाला बाग की मिट्टी हाथ में लेकर प्रतिज्ञा की थी.
7 – अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए सरदार उधमसिंह ने 13 मार्च 1940 को उन्होंने लंदन के कैक्सटन हॉल में इस घटना के समय ब्रिटिश लेफ्टिनेण्ट गवर्नर मायकल ओ डायर को गोली चला के मार डाला.
8 – जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड की विश्वव्यापी निंदा हुई जिसके दबाव में सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एडविन मॉंटेग्यु ने 1919 के अंत में इसकी जांच के लिए हंटर कमीशन नियुक्त किया.
9 – हंटर कमीशन की रिपोर्ट में डायर को दोषी पाया गया और 1920 में ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर को पदावनत कर कर्नल बना दिया गया.
10 – एक ओर जहां ब्रिटेन में हाउस ऑफ कॉमन्स ने डायर का निंदा प्रस्ताव पारित किया तो दूसरी ओर हाउस ऑफ लॉर्ड ने इस हत्याकांड की प्रशंसा करते हुए उसका प्रशस्ति प्रस्ताव पारित किया.
बावजूद इसके लोगों का गुस्सा कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था. डायर के नाम से ही लोगों का खून बदला लने के लिए उबाल मारने लगता था. इसको देखकर ब्रिटिश सरकार डर गई और उसने डायर को भारत से वापस इंग्लैंड बुला लिया था.
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