मशहूर जैन मुनि तरूण सागर का लंबी बीमारी का निधन हो गया.
वो काफी समय से बीमार चल रहे थे और उनकी हालत गंभीर थी. तरूण सागर बाकी संतों से काफी अलग थे, वो अध्यात्म के अलावा देश-दुनिया के सभी मसलों पर अपनी बेबाक राय रखने के लिए जाने जाते थे.
जैन मुनि तरुण सागर अक्सर अपने विवादित बयानों की वजह से सुर्खियों में बने रहते थे. आतंकवाद पर एक बार उन्होंने कहा था कि जितने आतंकवादी पाकिस्तान में नहीं हैं, उससे ज्यादा गद्दार हमारे देश में मौजूद हैं. उन्होंने कहा था कि गद्दारों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए ताकि देश के अंतर मौजूद आतंकवाद खत्म हो सके.
अपने एक बयान में उन्होंने ये भी कहा था कि देश के कुछ मुसलमान ऐसे हैं, जिनका हिंदुस्तान में मन नहीं लगता उन्हें पाकिस्तान भेज देना चाहिए. साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि जिन हिंदुओं का पाकिस्तान में मन नहीं लगता उन्हें हिंदुस्तान बुला लेना चाहिए. लोगों की परवाह किया बिना हमेशा वो अपने दिल की बात बेबाकी से बोल जाते थे.
इसके अलावा भी वो ऐसे बयान दे चुके हैं जिससे नेताओं को बहुत बुरा लगा होगा. एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि देश में हर तीसरा व्यक्ति भ्रष्टाचारी है. जैनमुनि ने कहा था कि देश के 10 फीसदी लोग ही पूरी तरह ईमानदार हैं. नेताओं के बारे में उन्होंने कहा था कि छोटी चोरी करने वाले जेलों में बंद हैं और जो बड़ी-बड़ी चोरियां करते हैं वो लोकसभा और विधानसभा में बैठे हुए हैं. जाहिर है उनका इशारा आपराधिक छवि वाले नेताओं की ओर था.
इतना ही नहीं एक बार उन्होंने कहा ता कि यदि लोकसभा विधानसभा में बैठने वाले लोग सुधर जाएं, तो एक अरब 34 करोड़ 97 लाख लोग भी सुधर जाएंगे. मुस्लमानों को लेकर भी वो दो टूक राय रखते थे, उन्होंने साफ दौर पर कहा था कि मुस्लिमों की बढ़ती आबादी देश के लिए खतरा है. साथ ही वो मुस्लिम भी देश के लिए खतरा हैं, जो ये कहते हैं कि भारत तेरे टुकड़े होंगे और भारत की हार पर जश्न मनाते हैं. जैन मुनि के इस बयान पर बहुत बवाल भी मचा था.
जैन मुनि तरूण सागर फर्जी बाबाओं के भी सख्त खिलाफ थे. उन्होंने दशहरा के मौके पर रावण की जगह दुष्कर्मी बाबाओं के पुतले जलाने की बात भी कही थी. उन्होंने कहा था कि दशहरा तभी सार्थक होगा जब हम सब एक साथ मिलकर इन फर्जी बाबों के खिलाफ खड़े हो जाएंगे.
जैन मुनि तरूण सागर इसलिए भी बाकी संतों से अलग थे, क्योंकि वो आम जनता की बजाय नेताओं को प्रवचन देने के पक्षधर थे. उनका मानना था कि संत समाज का गुरू होता है, पूरे समाज का दायित्व उसपर होता है. समाज में गलत को गलत बोलना कोई गुनाह नहीं है.
जैन मुनि तरुण सागर का जन्म मध्य प्रदेश के दमोह में 26 जून, 1967 को हुआ था. उन्होंने 8 मार्च, 1981 को घर छोड़ दिया था. इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ में दीक्षा ली. जैन मुनि के निधन से जैन समुदाय बहुत दुखी है.