डूब कर मरता ही है.
असल में यह इजरायल और जोर्डन के बीच एक विशाल झील है.
इसकी यूं तो कई खासियते हैं लेकिन इसकी सबसे प्रसिद्ध और चर्चित जो विशेषता है वह ये कि इसमें कोई डूबता नहीं है.
दरअसल, जैसा कि कहा जाता है उसके विपरीत मृत सागर का पानी खारा ही नहीं है, इसमें पोटाश, ब्रोमाइड, मैग्नीशियम, कैल्शियम, जिंक, सल्फर जैसे खनिज लवण भी काफी मात्रा में मिलते हैं.
इस वजह से न तो यह पानी पीने लायक होता है, न इसमें मौजूद नमक का उपयोग किया जा सकता. नमक की सघनता ज्यादा होने की वजह से मृत सागर में न तो जलीय जीव जीवित रह पाते हैं. यही कारण है कि प्राचीन ग्रीक लेखक ने इसे मृत सागर का दर्जा दिया.
गौरतलब है कि दुनियाभर के ज्यादातर समुद्रों का पानी खारा या नमकीन होता है. इससे नदियों के पानी की तुलना में समुद्र के नमकीन पानी का घनत्व यानी डेंसिटी बढ़ जाती है.
यह नदियों के पानी से ज्यादा भारी होता है. समुद्री पानी में मौजूद नमक (सोडियम और मैग्नीशियम) औसतन एक घन फुट के लिए एक किलोग्राम होता है. जबकि डेड सी या मृत सागर का पानी साधारण समुद्री पानी से भी तकरीबन 6 से 7 गुना ज्यादा खारा है.
मृत सागर का खारा पानी नीचे की ओर बढ़ता है. इस खारे पानी का भार इतना ज्यादा है कि तुम इस पानी में सीधे लेट जाओ तो डूब नहीं सकते और बिना किसी डर के आसानी से तैर सकते हो.
मृत सागर 67 किलोमीटर लम्बा और 18 किलोमीटर चैड़ा है. जोर्डन नदी इसमें आकर गिरती है.
मृत सागर को अरबी झील के रूप में भी जाना जाता है. मृत सागर धरती के न्यूनतम बिंदु पर है. यह सागर सबसे कम जगह में फैला है.
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