इस्लािमिक स्कूल – भारत का यूपी राज्य आए दिन किसी ना किसी बात को लेकर चर्चा में रहता है।
यहां की शिक्षा व्यवस्था का तो कहना ही है। आए दिन कोई नया कारनामा हंगामे का रूप ले लेता है। अब यूपी के सरकारी स्कूलों को इस्लािमिक स्कूल में तब्दील करने का मामला सामने आया है।
यूपी के देवरिया और महराजगंज के कई सरकारी स्कूलों में जुम्में के दिन यानि शुक्रवार की छुट्टी होती है और रविवार के दिन बच्चों को स्कूल आना पड़ता है।
सालों से चलता आ रहा है ये सिलसिला
इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं है कि यूपी के इन स्कूलों में इस्लामिक तालीम पर जोर क्यों दिया जा रहा है और सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि ये सिलसिला सालों से चला आ रहा है। कई बार स्थानीय लोगों ने इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। शासन तक जब इस बात की खबर पहुंची तो अधिकारी तक हिल गए। अब इन स्कूलों के पुराने रिकॉर्ड तलाशे जा रहे हैं। किसी को नहीं मालूम कि यहां पर इस्लामिक स्कूल कैसे और कब से चलाए जा रहे हैं।
1931 में बने थे स्कूल
यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां पर स्कूल का संचालन आजादी से पहले सन् 1931 से होता आ रहा है। बाद में परिषदीय स्कूल खोला गया तो इसे इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय जद्दूपिपरा नाम दे दिया गया। इन स्कूलों के खुद प्रिंसिपल तक शुक्रवार को छुट्टी और रविवार को आने के सिस्टम से परेशान हो चुके हैं।
कई विद्यालय हो गए इस्लामिक
यूपी के सिर्फ देवरिया जनपद ही नहीं बल्कि भलुअनी विकास के प्राथमिक विद्यालय जैतपुरा समेत चार और स्कूलों का नाम इस्लामिक रख दिया गया है। इन स्कूलों में पढ़ाई भी इस्लामिक पद्धति से होती है। इन स्कूलों की दीवारों पर इस्लामिया विद्यालय अंकित किया गया है। इस बारे में ग्रामीणों का कहना है कि ये परंपरा आज की नहीं बल्कि देश के आजाद होने से पहले की है। इस स्कूल पर जो प्रिंसिपिल आए वो अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय से थे। पहले भी इन स्कूलों में उर्दू और अरबी में पढ़ाई होती है। जब बच्चों को उर्दू में पढ़ने और लिखने में मुश्किल होने लगी तो हिंदी में पढ़ाना शुरु किया गया। आज भी इस स्कूल में उर्दू अध्यापक की नियुक्ति है। चूंकि, ये गांव ही अल्पसंख्यकों का है इसलिए यहां पर बच्चे भी इसी समुदाय के पढ़ते हैं।
अब इस स्कूल और यूपी के बाकी गांवों में चल रहे ऐसे स्कूलों के इस्लािमिक स्कूल बनाए जाने को लेकर पुराने रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। अभी तक किसी को ये नहीं पता चल पाया है कि इन इस्लािमिक स्कूल को कब से और क्यों अंकित किया गया है। खबरों की मानें तो डीएम के आदेश पर अब से इन स्कूलों में शुक्रवार की जगह रविवार को ही छुट्टी हुआ करेगा।
वैसे ये बड़ा अजब मामला है जिसमें दो-चार स्कूलों के अंदर इस्लामिक शिक्षा सालों से दी जा रही है और देश के हुक्मरानों को इसकी खबर ही नहीं है। देश की शिक्षा व्यवस्था कितनी दुरुस्त और विकसित है, ये इस मामले के सामने आने से ही पता चल गया।