आज जो लोग सोचते हैं कि हिन्दुओं ने कोई अत्याचार नहीं सहा है तो वह गलत हैं.
कुछ लोगों का मानना है कि खूनी अत्याचार केवल इसाई और मुस्लिम लोगों ही सहन किया है.
जबकि अगर आप सही इतिहास पढ़ते हैं तो आप जान पाएंगे कि हिन्दुओं ने शांति की स्थापना के लिए ही सारा अत्याचार सहन किया था.
अफगान से आ रहे मुस्लिम शासकों ने हिन्दू मंदिर गिरा दिए और महिलाओं का बलात्कार किया गया था. तब देश के अन्दर कोई भी ऐसी सरकार नहीं थी जो मानव अधिकारों की सुन रही थी.
अब इस बात को सिद्ध करने के लिए आये देखते हैं कि भारत पर इस्लामी आक्रमण के बारे में मुस्लिम शासक क्या लिखते हैं. यहाँ आज हम जिस मुस्लिम शासक की बातें आपको पढ़ाने वाले हैं वह खुद एक मुस्लमान था और अरब से आया था.
वह लेखक लिखता है कि :-
चच नामा पुस्तक का हुआ है अंग्रेजी अनुवाद
मुस्लिम इतिहासकार अल क्रूफी द्वारा अरबी के ‘चच नामा’ इतिहास में इस हिन्दू जिहाद के बारें में काफी लिखा गया है. इस पुस्तक का अंग्रेजी में अनुवाद एलियट और डाउसन ने किया था.
सिन्ध में जिहाद के बारें में एलियट लिखते हैं कि सिन्ध के कुछ किलों को जीत लेने के बाद बिन कासिम ने ईराक के गर्वनर अपने चाचा हज्जाज को लिखा था- ‘सिवस्तान और सीसाम के किले पहले ही जीत लिये गये हैं. हजारों गैर-मुसलमानों का धर्मान्तरण कर दिया गया है या फिर उनका वध कर दिया गया है. मूर्ति वाले मन्दिरों के स्थान पर मस्जिदें खड़ी कर दी गई हैं, बना दी गई हैं.
चच नामा अल कुफी : एलियट और डाउसन खण्ड 1 पृष्ठ 164
जब बिन कासिम ने सिन्ध विजय की, उसने बहुत से कैदियों को, विशेषकर हिन्दू महिला कैदियों को मुसलमानों के विलास के लिए अपने देश भेज दिया. राजा दाहिर की दो पुत्रियाँ- परिमल देवी और सूरज देवी जिन्हें खलीफा के हरम को सम्पन्न करने के लिए हज्जाज को भेजा गया था जो युद्ध के लूट के माल के पाँचवे भाग के रूप में इस्लामी शाही खजाने के भाग के रूप में भेजा गया था.
चच नामा का विवरण इस प्रकार है- हज्जाज की बिन कासिम को स्थाई आदेश थे कि हिन्दुओं के प्रति कोई कृपा नहीं की जाए, उनकी गर्दनें काट दी जाएँ और महिलाओं को और बच्चों को कैदी बना लिया जाए’
उसी पुस्तक में पृष्ठ 173 पर दर्ज इतिहास.
इससे आगे का इतिहास आप मुस्लिम शासक और भारतीय जन मानस नाम की पुस्तक में है. जहाँ लिखा गया है कि सन 636 से 712 के बीच भारत में कई बार मुस्लिमों का आक्रमण हुआ था. इस समय में मुस्लिम भारत आते थे और भारत को लुटते थे. महिलाओं को उठा ले जाते थे. बलात्कार जैसी चीज भी इन्हीं के आने के बाद में भारत में आई थी.
हसन निजामी क्या लिखते हैं-
हसन निजामी ने इस बारे में लिखा था कि जब इस्लाम की सेना पूरी तरह विजयी हुई, तब एक लाख हिन्दूओं का कत्लेआम किया गया. इस्लाम की सेना आगे अजमेर गयी और यहाँ लूट में इतना माल व सम्पत्ति मिले कि समुद्र के रहस्यमयी कोषागार और पहाड़ एकाकार हो गये. जब तक सुल्तान अजमेर में रहा उसने मन्दिरों का विध्वंस किया और उनके स्थानों पर मस्जिदें बनवाईं.
उस स्थान से आगे इस्लामी सेना बनारस की ओर चली जो भारत की आत्मा है और यहाँ उन्होंने एक हजार मन्दिरों का ध्वंस किया तथा उनकी नीवों के स्थानों पर मस्जिदें बनवा दीं.
यहाँ पर पूरी पुस्तक की बातें बताना मुश्किल हो रहा है. लेकिन यह पुस्तक सबूत है कि जो हिन्द में हुए जिहाद की पूरी कहानी क्रम से सामने रख देती है. आप खुद पढ़िए और समझ जाइए कि हिन्दुओं ने अपने ही देश में कैसा कत्लेआम सहन किया है.