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इस्लाम का डर ! इस्लाम कमजोर हो रहा है ! इस घटना के बाद आप बताइए कि कौन है सच्चा मुसलमान!

इस्लाम धर्म

बीते दिनों से कश्मीर जल रहा है.

सोशल मीडिया पर हल्ला हो रहा है कि सेना मुस्लिम लोगों को मार रही है – ये इस्लाम के लोग मासूम हैं – असल में सच यह है कि आज के मुसलमान ने इस्लाम धर्म को पढ़ा ही नहीं है – इन लोगों को मौलवियों ने ट्रेनिग दी है और इन्होनें की अपनी तरह से मासूम मुसलमान बच्चों को इस्लाम पढ़ाया है –

बीते सप्ताह इसी तरह की दो घटनायें हुई हैं, जिनका जिक्र हम आज करेंगे.

हम समझने की कोशिश करेंगे कि क्या वाकई इस्लाम धर्म खतरे में है?

और बाद में यह पढेंगे कि इस्लाम धर्म को सबसे बड़ा खतरा अपने ही मुस्लिम लोगों से है.

उससे पहले आइये एक रिपोर्ट पढ़ते हैं-

ख़ुफ़िया जांच एजेंसी की रिपोर्ट –

इस्लाम धर्म

कश्मीर घाटी में दम तोड़ रहे आतंकवाद को जिंदा रखने के लिए पाकिस्तान और खाड़ी देशों से हवाला के जरिए करोड़ों रुपये आ रहे हैं. कश्मीर में अलगाववाद को शह देने के साथ नई पीढ़ी को देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए इस पैसे का इस्तेमाल हो रहा है. खुफिया रिपोर्ट्स में इसका खुलासा हुआ है.

खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुरुआत में पाकिस्तान में ट्रेनिंग देने के लिए पाकिस्तानी आतंकवादी को 50 हजार रुपए दिया जाता है.

वहीं लोकल टेररिस्ट को 10 हजार से 25 हजार तक दिया जाता है. ट्रेनिंग के बाद जब भारत घुसपैठ करने लिए आते हैं तो साथ में ये पैसे लेकर आते हैं. इसमें नकली नोट भी हो सकते हैं. लेकिन लोकल लड़को को आतंकवाद की ट्रेनिंग देने के बाद उनकी सैलरी 3, 5, 7, 10 हजार तक होती है बल्कि पाकिस्तानी आतंकियों को 15 हजार तक मिलते हैं.
(यह रिपोर्ट 9 जून को आजतक से साभार)

इस रिपोर्ट के लगभग एक माह बाद ही कश्मीर जलने लगता है. ऐसा पहले से ही अनुमान लगा लिया गया था कि जल्द ही कश्मीर में बड़ी आतंकी वारदात होने वाली हैं.

एक आतंकवादी के लिए जनता में गुस्सा

इस्लाम धर्म

पहली घटना पर नजर डालें तो कश्मीर में कई बार सेना पर हमले हुए थे लेकिन कश्मीर की जनता को गुस्सा नहीं आया था. जनता रोड पर नहीं आ रही थी लेकिन जब एक आतंकवादी मारा जाता है तो जनता सड़कों पर आती है और सेना को मारती है. तो अब सवाल यह उठता है कि क्या इस्लाम धर्म यह कहता है कि तुम आतंकवाद का साथ दो?

हकीकत में इस्लाम धर्म ने आतंकवाद का कहीं कोई जिक्र नहीं किया है.

तो क्या आज का मुसलमान, इस्लाम को मानता ही नहीं है? क्योकि आतंकवाद का साथ देने वाला हर व्यक्ति आतंकवादी ही होता है. याद किया जाए जब कश्मीर में बाढ़ आई हुई थी तो उस समय आतंकवादियों ने कश्मीर के लोगों की मदद नहीं की थी. भारत की सेना ने अपनी जान पर खेलकर इन लोगों को बचाया था.

पाकिस्तान की घटना –

इस्लाम धर्म

पाकिस्तान में एक्टर कंदील बलोच को उसी का भाई मारता है. लेकिन यह हत्या असल में भाई से किसी और ने करवाई थी. कंदील इस्लाम के खिलाफ जाकर कई काम कर रही थी और अब वह फेमस होती जा रही थी. तो क्या इस्लाम का धर्म किसी की जान लेने की अनुमति देता है? अगर कोई धर्म इंसान के बच्चे की जान लेने को कहता है तो वह धर्म नहीं हो सकता है. धर्म कहता है कि तुम अगर किसी को जान दे नहीं सकते हो तो किसी की जान कैसे ले सकते हो?

तो क्या इस्लाम डर रहा है?

तो अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या इस्लाम धर्म कमजोर हो रहा है? इसी कमजोरी के चलते क्या वह दूसरे लोगों की जान ले रहा है? ईद के दिन बांग्लादेश में हत्या करनी, क्या इस्लाम में लिखी थी?

भारत के मुसलमान, कश्मीर वालों के लिए भाई-भाई बोलते हैं और अन्य जगह जब इस्लाम दूसरे लोगों की जान लेता है तो यह लोग शांत रहते हैं.

इस्लाम को कमजोर कर रहे हैं खुद मुस्लिम

आज इस्लाम को पूरी दुनिया एक अलग नजर से देखने लगी है. इसके पीछे का जो मुख्य कारण है वह यही आतंकवाद है. इस्लाम को बदनाम कर रहे लोगों को इस्लाम का मतलब ही नहीं पता है. कभी पवित्र कुरान को समझने की कोशिश इन आतंकवादी लोगों ने नहीं की है. मदरसों से निकलकर नासा तक पहुँचने की कोशिश युवा मुस्लिम बच्चे नहीं कर रहे हैं.

तो अब आप समझ गये होंगे कि इस्लाम धर्म अपने ही लोगों से डर रहा है और अपने ही लोग इस्लाम धर्म को कमजोर बना रहे हैं. वक़्त रहते इस बात को समझने की आवश्यकता है.