सूअर का मांस – इस्लामिक कुरान में चार जगहों पर इस बात का वर्णन किया गया है कि सूअर के मांस का प्रयोग हराम और निषेध होता है.
पवित्र कुरान 2:173, 5:3, 6:145 और 16:115 निम्न आयत में इस बात को साफ तौर पर स्पष्ट किया गया है कि सूअर का मांस हराम क्यो है – “तुम्हारे लिए हराम किया गया मर्दार, खून, सूअर का मास और वह जानवर जिस पर अल्लाह के अलावा किसी और का नाम लिया गया हो”.
कुरान में लिखा है कि “सूअर जू चिरे अर्थात् फटे खुर का होता है, परन्तु पागुर नहीं करता, इसलिए वह तुम्हारे लिए अशुदध है. इनके मांस में से कुछ न खाना और उनकी लोथ को छूना भी नहीं, ये तुम्हारे लिए अशुद्श है.”
सूअर का मांस बहुत से रोगों का कारण बन सकता है. इस जानवर के मांस से करीब 70 किस्म के रोग जन्म लेते हैं. सूअर के मांस के अंदर कई विभिन्न प्रकार के कीडे जन्म लेते हैं, जोकि बेहद जानलेवा साबित हो सकते हैं. इनमें से एक कीड़े का नाम है फीताकार कीड़ा जोकि शरीर के किसी भी अंग को पूरी तरह से नष्ट करने की क्षमता रखता है.
कई लोग यह सोचते हैं कि अगर सूअर के मांस को अच्छे से पकाया जाए तो यह कीड़े मर सकते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल नही है. अमेरिका में हुई एक रिसर्च में यह सामने आया है कि 26 में से 24 लोगों की मृत्यु का कारण फीताकार कीड़ा था जिसमें से 22 लोग सूअर का मांस पूरी तरह से पका कर खाते थे, लेकिन फिर भी उनकी इस कीड़े द्वारा मृत्यु हो गई.
इस्लाम में सूअर को हराम माने जाने के पीछे एक वजह यह भी है कि यह धरती का सबसे निर्लज जानवर है. केवल यही एक ऐसा जानवर है जो अपने साथियों को अपनी मादा के साथ यौन करने बुलाता है.
इस्लाम का मानना है कि अगर आप सूअर का मांस खाएंगे तो आप में भी सूअर जैसी आदतें आ जाएंगी जिस कारण इसे इस्लाम में हराम माना गया है.