ENG | HINDI

इस्लाम में चार बीवियाँ होने की असली वजह !

इस्लाम में चार बीवियाँ

इस्लाम में चार बीवियाँ – भारत में मुस्लिम महिलाओं के जीवन में हाल ही में काफी सुधार देखने को मिला है।

तीन तलाक के बाद मुस्लिम महिलओं को उस असैवधानिंक तलाक से छुटकारा मिला । जिसके तहत मुसलमान मर्द अपनी बीवियों को कभी कहीं भी किसी भी स्थिति में तीन बार तलाक, तलाक, तलाक बोलकर डिवोर्स दे देते थे। तीन तलाक के खत्म होने के बाद एक अच्छी चीज ओर हुई वो थी मुसलमान मर्दों का एक से ज्यादा बीवियां गैर कानूनी होना । मुस्लिम सुमदाय में तीन तलाक के कारण हलाला जैसी कुरीतियां भी खत्म होने की संभावना है । मुस्लिम समुदाय में इस्लाम में चार बीवियाँ रखने की आजादी थी और इस्लाम में चार बीवियाँ रखना मर्दों के लिए भले ही शान की बात हो ।

इस्लाम में चार बीवियाँ

लेकिन इस के कारण मुस्लिम महिलाओं को हजारों तकलीफों का सामना करना पड़ता था । अपनी ही सौत के साथ रहने के दर्द शायद वो मुस्लिम महिलाएं भली भातिं समझ सकती है । जिन्होंने स्वंय ये सब झेला है । जिसके चलते दहेज उत्पीड़न, घरेलु हिंसा इन महिलाओं के साथ आम हो जाता है ।

लेकिन जब भी मुस्लिम मर्द इस्लाम की दुहाई देते है कि उनके इस्लाम में लिखा है कि इस्लाम में चार बीवियाँ करने की आजादी है । तो यहां ये सवाल भी जरुर उठाता है कि अगर ऐसा है तो क्यों है । एक से ज्यादा बीवियां रखने की वजह के पीछे क्या कारण छिपा है ।

इस्लाम में चार बीवियाँ

इस्लाम के जानकारों के अनुसार इस्लाम में चार बीवियाँ रखने के पीछे एक खास वजह है । जो अब लागू नहीं होती है ।

दरअसल इस्लाम में चार बीवियाँ रखने की इजाजत कही गई थी, तब  मुस्लिम समुदाय के कबीलों में युद्ध होते रहते थे ।जिस वजह से पुरुष युद्ध में मारे जाते थे। जिस वजह से कई महिलाएं विधवा हो जाती थी । विधवा औरतों के सरंक्षण देने के चलते इस्लाम में उस वक्त चार शादियों को इजाजत दी गई थी। ताकि उन बेसहारा महिलाओं को सरंक्षण दिया जा सकें । लेकिन इस नियम को आजतक लोग आँख मूंदकर मानते आ रहे है । जबकि ये वजह आज के वक्त में कही भी अप्लाई नहीं होती है और दिलचस्प बात ये है कि कुरान में ये बात भी कही गई है कि अगर कोई व्यक्ति अगर चार बीवियां रखती है तो उसे चारों बीवियों को एक जैसा प्यार, एक जैसे हक और एक जैसी इज्जत देने होती है वरना इसे हराम माना जाता है ।

इस्लाम में चार बीवियाँ

लेकिन लोग इन बातों को समझे बिना ही इनका मनमाने ढ़़ग से इस्तेमाल करते हैं और इनका फायदा उठाते है ।

और यही कारण है कि इन कुरीतियों का समर्थन करने वाले मर्द सविँधान की धारा 25 का हवाला देते हुए इसे धर्म के स्वतंत्रता का अधिकार कहकर इसे छेड़छाड़ न करने की सलाह देते हैं । लेकिन जब एक मर्द अपनी एक पत्नी के साथ घरेलु हिंसा जैसे अपराध करता है । क्या उसे तीन ओर औरतों की जिंदगी से खेलने का हक होना चाहिए ?