जब हम ‘शिव’ कहते हैं तो हमारे मन में एक ऐसी तस्वीर बनती हैं जो सर्व शक्तिमान है.
समस्त संसार उससे ही है और वह जब चाहे उसे संवार ले या बिगाड़ दे उस पर निर्भर करता है, लेकिन अलग अलग लोगों के लिए यह तस्वीर अलग होती है. यह किसी भी एक व्यक्ति का हो सकने वाला सर्वाधिक बहुआयामी व्याखान है.
शिव को दुनिया का सर्वोत्कृष्ट तपस्वी या आत्मसंयमी कहा जाता है. वह सजगता की साक्षात मूरत हैं, लेकिन साथ ही मदमस्त व्यक्ति भी हैं. एक तरफ तो उन्हें सुंदरता की मूर्ति कहा जाता है तो दूसरी ओर उनका औघड़ व डरावना रूप भी है. शिव एक ऐसे शख्स हैं, जिनके न तो माता-पिता हैं, न कोई बचपन और न ही बुढ़ापा. उन्होंने अपना निर्माण स्वयं किया है.
वह सिर्फ ‘शिव’ आपको इस शब्द की ताकत पता होनी चाहिए, यह सब सोचते हुए अब आप अपने तार्किक दिमाग में मत खो जाइए.
कई बार यह बातें बेवजह लगती हैं, यह तो उन मानवीय सीमाओं से परे जाने का एक रास्ता है, जिसमें इंसान अकसर फंसा रह जाता है. जीवन की बहुत गहन समझ के साथ हम उस ध्वनि या शब्द तक पहुंचे हैं, जिसे हम ‘शिव’ कहते हैं. यदि आपमें किसी चीज को ग्रहण करने की अच्छी क्षमता है, तो सिर्फ एक उच्चारण आपके भीतर बहुत शिव में ‘शि’ ध्वनि का अर्थ मूल रूप से शक्ति या ऊर्जा होता है. भारतीय जीवन शैली में, हमने हमेशा से स्त्री गुण को शक्ति के रूप में देखा है.