प्राचीन काल में क्या सचमुच इंसानों की उम्र हज़ार साल हुआ करती थी?
इस सवाल के जवाब के लिए हमें रामायण और महाभारत के युग में जाना होगा.
कहते हैं कि उस काल में कई ऐसे शक्तिशाली व्यक्ति हुए जिन्होंने ने समय और उम्र को मात देकर अपने जीवन को दुसरों के उपकार में लगाया और शायद इसी सोच के चलते वह कई साल तक जीवित रहे.
त्रेता युग जिसे राम और रामायण का युग कहा जाता हैं और द्वापरयुग जिसमे महाभारत हुई थी में हजारों वर्ष का अंतर था और इस काल में ऐसे कई बलशाली मनुष्य हुए जो कई वर्षों तक जीवित रहे जिससे इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता हैं कि पुराने पौराणिक काल में मनुष्यों की आयु सचमुच हज़ार साल से भी अधिक हुआ करती थी.
उस काल से जुड़े कुछ ऐसे व्यक्तियों के बारे में हम आपको बतायेंगे जिनके लिए कहते हैं कि इन्सान सच में पहले 1000 सालों तक जिन्दा रहते थे.
1 हनुमानजी-
कहते हैं कि हनुमान जी कई वर्षों तक जीवित रहे थे. क्योकि रामायण काल में तो उन्होंने भगवान् राम और लक्ष्मण की रावण से युद्ध जीतने मदद की थी और माता सीता को मुक्त कराया था. वहीँ हनुमान जी का उल्लेख महभारत के एक और प्रसंग में भी मिलता हैं जहाँ उन्होंने भीम से युद्ध करके उसके अहंकार को नष्ट किया था और सही मार्ग पर चलने की सलाह दी थी. इन दोनों बातो से यह लगता हैं कि हनुमान जी अवश्य ही कई सालों तक जीवित रहे थे.
2 मयासुर-
रामायण में उल्लेख मिलता हैं कि मयासुर रावण की पत्नी मंदोदरी के पिता थे और ज्योतिषी और वास्तु के जानकार थे. वहीँ महाभारत में यह उल्लेख मिलता हैं कि युधिष्टिर के सभा भवन का निर्माण मयासुर ने ही किया था इसलिए उस भवन का नाम मयसभा रखा गया था. कहते हैं कि वह भवन इतना खुबसूरत था कि दुर्योधन इसे देखकर पांडवों से इर्ष्या करने लगा था और महाभारत का युद्ध होने में एक वजह यह इर्ष्या भी थी.
3 जामवंत-
रामायण काल में भगवान राम की सेना में हनुमान, सुग्रीव और अंगद के साथ जामवंत भी थे. यह जामवंत ही थे जिन्होंने समुद्र पार करने में हनुमान जी को उनकी शक्तिया याद दिला कर यह कार्य संभव कराया था. वहीं महाभारत काल में इन्हीं जामवंत का श्रीकृष्ण के साथ एक युद्ध का उल्लेख भी मिलता हैं जिसमे जामवंत पराजित होकर अपनी पुत्री जामवंती का विवाह भगवान् कृष्ण के साथ करा दिया था.
4 परशुराम-
परशुराम अपने क्रोध के जाने जाते थे, लेकिन यह भी कहा जाता हैं कि वह भगवान् विष्णु के अवतार थे और कई साल तक जीवित रहे. रामायण काल में जब सीता स्वयंवर हुआ था और भगवान राम ने शिवधनुष तोड़ा था तब परशुराम बहुत क्रोधित हो गए थे परन्तु जैसे ही उन्हें ज्ञात हुआ की श्रीराम भी भगवान् विष्णु के एक अवतार हैं तब परशुराम शांत हो गए थे. वही महाभारत के काल में उनके होने का उल्लेख ऐसे मिलता हैं कि वह भीष्म, गुरु द्रोण और कर्ण के गुरु थे.
पौराणिक काल से जुड़े इन सभी चरित्रों के बारें कही गयी यह सारी बाते अभी तक कहानी और मान्यताओं में ही मिलती हैं, लेकिन लोग अपनी आस्था के अनुसार इन बातो पर यकीन रखते हैं.
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