कैप्चा का इतिहास – आजकल जमाना इंटरनेट का है।
इंटरनेट की मदद से हम किसी भी काम के मिनटों में ही खत्म कर सकते हैं। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा काम होगा जो इंटरनेट की मदद से संभव नहीं होगा। लेकिन जब इंटरनेट की मांग तेजी से बढ़ने लगी तो लोगों ने इसका दुरुपयोग करना भी शुरू कर दिया और इंटरनेट के जरिये लोगों को धोखाधड़ी का शिकार बनाने लगे।
इंटरनेट की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कैप्चा का प्रयोग किया जाने लगा।
आखिर क्या है ये कैप्चा और क्या है इसका इतिहास आइए जानते हैं।
जानिए क्या है कैप्चा:
कैप्चा को ‘कंप्लीटेड ऑटोमेटेड पब्लिक टर्निंग टेस्ट टू टेल ह्यूमन अपार्ट’ कहा जाता है। कैप्चा की मदद से कंप्यूटर इस बात की पुष्टि करता है कि यूजर मानव है या फिर नहीं। इस जांच को कंप्यूटर की मदद से पूरा किया जाता है इसलिए इसे ‘रिवर्स टर्निंग टेस्ट’ भी कहा जाता है। कैप्चा में अल्फाबेट और नंबर होते हैं। एक आम आदमी को कैप्चा टेस्ट को हल करने में कम से कम 15 सेकेंड का समय लगता है।
क्या है कैप्चा का इतिहास:
कैप्चा का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। इंटरनेट के शुरुआती दिनों में कई लोग पेज के टेक्स्ट के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश करते थे। इससे बचने के लिए साल 2000 में कैप्चा का आविष्कार किया गया। हालांकि इसके आविष्कार के पीछे कई तरह की बातें सामने आतीं हैं। कैप्चा सबसे आसान और आम प्रारूप साल 1997 में आया था। साल 1997 में इसका आविष्कार दो अलग-अलग समूहों ने मिलकर किया था और इसलिए दोनों ही इसके आविष्कारक माने जाते हैं। साल 2003 में लुईस वोहन की टीम ने इसके बारे में जानकारी दी और तबसे ही ये लोगों के बीच खासा प्रचलित हो गया।
ये है कैप्चा का इतिहास – इंटरनेट की दुनिया में आज हैकिंग की समस्या बहुत तेजी से फैल रही है। हैकर हर समय लोगों की जरूरी जानकारियां हैक करने की फिराक में रहते हैं और इस लिहाज से कैप्चा हम सबके लिए बहुत सहायक है। क्योंकि जब तक कोई यूजर कैप्चा के सही शब्द नहीं लिख देता वो पेज के अगले भाग में नहीं जा सकता। कैप्चा हमें हैकरों से बचाने में बहुत सहायक है। कैप्चा के आने से हैकिंग में भी काफी कमी आई है। एक कैप्चा को सुलझाने में यूजर को कम से कम 15 सेकेंड का समय लगता है।