सरकार चाहे कांग्रेस की या फिर भाजपा की, इंद्रेश कुमार को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है.
संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी इंद्रेश कुमार अपने मिशन में जी जान से जुटे हैं. मिशन भी कोई ऐसा वैसा नहीं बल्कि मुस्लिमों को संघ से जोड़ने का.
एक बार तो सुनकर हर कोई कुछ देर के लिए सोचता है कि संघ और मुस्लिम क्या कभी एक साथ आ सकते हैं. लेकिन इंद्रेश कुमार इस असंभव से लगने वाले काम में न केवल लगे हुए बल्कि उसमें उनको सफलता भी मिलती साफ नजर आ रही हैं.
उनकी सबसे खास बात है कि वे इसके लिए न तो संघ की विचारधारा को बदलने की बात करते हैं और न ही मुस्लिमों को संघ से जुड़ने के लिए कोई लालच देते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के जरिए इंद्रेश कुमार हजारों की तादाद में मुस्लिमों को अपने साथ जोड़ चुके हैं. इतना ही नहीं जम्मू कश्मीर को लेकर जहां देश के बाकी लोगों की यहां के मुस्लिमों को लेकर एक अलग धारणा और विचार है उसको भी इंद्रेश कुमार तोड़ने में लगे हुए हैं.
कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में मुस्लिमों को देश के बाकी लोगों के साथ जोड़ने में संघ का ये स्वंय सेवक काफी मेहनत कर रहा है.
इसी का नतीजा है कि आज इन क्षेत्रों में लोग भारत के साथ रहने और हाथ में तिरंगा उठाकर चलने में गर्व महसूस करते हैं. एक ओर जहां कश्मीर घाटी के लोग पाकिस्तान के कुप्रचार के में आकर भारत से अलगाव की बात करते हैं तो वहीं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से जुड़कर ये लोग भारत में रहने और इसके लिए मरने की कसम खाते हैं.
आपको बताते चलें कि कारगिल में पाक ने घुसपैंठ की तो जिन मुस्लिम गुज्जर समुदाय के लोगों ने सेना को सबसे पहले इसकी सूचना दी वे भी बड़ी संख्या में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से जुड़े हुए है.
दरअसल, इंद्रेश कुमार मुस्लिमों के उलेमाओं और लोगों के बीच जाकर अपनी बात रखते हुए उनसे कहते हैं कि उनकी भी अगर कोई समस्या है तो वो भी सामने रखे . उस पर बात की जा सकती है.
यही कारण है कि आज मुस्लिमों में भी संघ को लेकर थोड़ा बहुत परिवर्तन देखने को मिल रहा है.