आज तक आपने कभी इंदिरा गांधी के जीवनकाल में झाँकने की कोशिश की है?
आपने यदि ऐसा किया होता तो आप गांधी परिवार का पूरा सच जान चुके होते. किन्तु देश ने बड़े उम्मीदों के साथ एक महिला को प्रधानमंत्री चुना था लेकिन वह शायद इस पद के लायक ही नहीं थीं.
जिस तरह से इंदिरा गांधी ने देश को आपातकाल दिया और कई दंगों में अपनी चुनावी रोटियाँ बनाई थीं, शायद उसे आप नहीं जानते हैं.
आज हम आपको इंदिरा गांधी के मेमुना बेगम बनने तक के सफ़र पर लेकर जायेंगे और साथ ही साथ यह बतायेंगे कि कैसे रवीन्द्रनाथ टैगौर ने इंदिरा को उनके खराब आचरण के चलते अपने विश्वविद्यालय से निकाल दिया था-
शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में जर्मन टीचर से प्रेम संबंध
इंदिरा गांधी बड़ी उम्मीदों के साथ ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय भेजा गया था ताकि वह ऑक्सफ़ोर्ड के बाद भारत देश का भला कर सकें. लेकिन देखिये कि जल्द ही इंदिरा को वहां से खराब प्रदर्शन के कारण निकाल दिया जाता है.
तब नेहरू जी ने इनको शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था. जैसा कि शायद आपको पता ना हो कि शान्तिनिकेतन रवीन्द्रनाथ टैगौर जी चला रहे थे. लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि उन्होंने भी इंदिरा को खराब आचरण के कारण वहां से निकाल दिया था. तो आखिर इंदिरा गाँधी में ऐसा क्या था कि वह कहीं भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रही थीं. असल में आपको गांधी परिवार की पूरी सच्चाई जरूर पता होनी चाहिए. एक स्त्री खराब आचरण के कारण विश्वविद्यालय से निकाल दी जाती हैं किन्तु वह इस लायक जरूर है कि वह देश की प्रधानमंत्री बन जाती है.
ऐसा बोला जाता है कि रवीन्द्रनाथ टैगौर को इंदिरा गाँधी के प्रेम संबंधों का पता चल गया था. कैथरीन फ्रैंक की पुस्तक “the life of Indira Nehru Gandhi” में इंदिरा गांधी के अन्य प्रेम संबंधों के कुछ पर प्रकाश डाला गया है. इस पुस्तक में साफ लिखा है कि इंदिरा का पहला प्यार शान्तिनिकेतन में जर्मन शिक्षक के साथ था. बाद में वह एम ओ मथाई, (पिता के सचिव) धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उनके योग शिक्षक) के साथ और दिनेश सिंह (विदेश मंत्री) के साथ भी अपने प्रेम संबंधो के लिए प्रसिद्द हुई.
सबूत के लिए पढ़िए यह पुस्तकें
के.एन. राव की पुस्तक “नेहरू राजवंश” (10:8186092005 ISBN),
कैथरीन फ्रैंक की पुस्तक “The Life of Indira Nehru Gandhi (ISBN: 9780007259304),
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह की पुस्तक Profiles And Letters ” (ISBN: 8129102358).
आप बस इतना कीजिये कि यह तीन पुस्तकें पढ़ लीजिये और तब आप गाँधी परिवार के ऐसे-ऐसे राज जान जाओगे कि आपके पैरों से जमीन खिसक जाएगी. किस तरह से इंदिरा गाँधी ने अपने निजी लाभ के लिए रिश्तों तक का खून कर दिया और सत्ता में बने रहने के लिए कैसे देश तक का अहित किया गया था.
क्या मुस्लिम लोगों से नेहरू नफरत करते थे ?
शान्तिनिकेतन से जब इंदिरा गाँधी घर आ गई तो वह एकदम अकेली हो गयी थीं. उस समय तक इनकी माँ की मौत हो ही गयी थी. कहते हैं कि इनके इस अकेलेपन का फायदा फ़िरोज़ खान नाम के व्यापारी ने उठाया. यह व्यक्ति शराब का व्यापारी था. फ़िरोज़ खान और इंदिरा गाँधी के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो गए. दोनों ने लन्दन की मस्जिद में जाकर निकाह भी कर लिया था. इस तरह से इंदिरा गाँधी मुस्लिम धर्म अपना चुकी थीं. इंदिरा ने अपना नाम मेमुना बेगम रखा था. तो इसमें किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.
लेकिन तभी जवाहरलाल नेहरू अपने प्रधानमंत्री पद का डर सताने लगता है और वह एक मुस्लिम युवक को उसका धर्म परिवर्तन कराने के लिए राजी करते हैं. फिरोज खान को फिरोज गांधी बनाया जाता है.
अब इस तरह से तो साफ हो जाता है कि नेहरू मुस्लिम लोगों से जलते थे. तभी शायद एक व्यक्ति को फिरोज खान से फिरोज गांधी बनने को मजबूर किया गया था.
इंदिरा गाँधी का यह सच जनता तक पहुँचाने की सख्त जरूरत हो गयी है.
जिस तरह से यह परिवार हिन्दू-मुस्लिम लोगों का उपयोग अपने हित को पूरा करने के लिए कर रहा है तो अब वक़्त आ गया है कि गांधी परिवार के हर व्यक्ति का काला चिठ्ठा खोलकर जनता के सामने पेश किया जाये.