ऊपर वर्णित घटनाएं बताती है कि इंदिरा एक कुशल नेता थी पर एक ऐसे घटना भी थी जो इंदिरा को तानाशाहों की श्रेणी में खड़ा कर देती है .
ये घटना थी आपातकाल.
आपातकाल को अगर भारत जैसे लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.
इंदिरा ने अपने खिलाफ बोलने वाले हर व्यक्ति को रोकने के लिए आपातकाल का इस्तेमाल किया. प्रेस से लेकर बोलने तक पर पाबन्दी थी. समूह बनाना भी गैरकानूनी था. कितने ही लोग जेल में भर दिए गए,कितने ही लोगों की सम्पत्ति जब्त की गयी. लेखक, बुद्धिजीवी, संचार साधन सिर्फ वही लिखते या सुनाते थे जो इंदिरा चाहती थी.
उसके खिलाफ जाने वाले के लिए थी जेल.
इसी का नतीजा था कि अगले आम चुनाव में इंदिरा को हार का सामना करना पड़ा.