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इंदिरा गांधी : एक कुशल प्रशासक या एक तानाशाह

आज भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्मतिथि है तो दूसरी और भारत की लौह महिला इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि है.

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आज ही के दिन इंदिरा गांधी को उनके ही अंगरक्षकों ने गोलियों से भून कर मौत के घाट उतार दिया था. कुछ लोग कहते है कि इंदिरा गांधी देश के सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्रियों में से एक थी तो कुछ लोग कहते है कि वो एक तानाशाह की तरह थी जो अपने विरोधियों का किसी भी तरह से दमन कर सकता है.

अब सच क्या है वो तो इंदिरा के साथ ही चला गया, अब तो बस उनके द्वारा किये गए कामों के आधार पर ही लोग उन्हें कुशल नेता या तानशाह कहते है.

आइये आज जानते है इंदिरा गांधी के बारे में कुछ बातें जो ये बताती है कि वो शायद एक देशभक्त नेता और एक तानशाह के बीच की महीन रेखा थी.

इंदिरा गाँधी सबसे लम्बे समय तक प्रधानमंत्री रहने में दुसरे स्थान पर है.

बचपन में इंदिरा का नाम प्रियदर्शिनी था.

आज़ादी की लड़ाई के समय इंदिरा ने एक वानर सेना बनायीं थी. इसके सभी सदस्य बच्चे ही थे और उनका कार्य था अंग्रेजों की हरकतों पर नजर रखना और क्रांतिकारियों के सन्देश दुसरे क्रांतिकारियों तक पहुँचाना.

बचपन में ही कई बार अँगरेज़ अधिकारीयों को चकमा देकर महत्वपूर्ण सूचनाएं और दस्तावेज़ क्रांतिकारियों तक पहुंचाकर इंदिरा ने अपनी योग्यता का प्रमाण दे दिया था.

महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी में वैसे कोई पारिवारिक संबंध नहीं था फिर भी दोनों का अंतिम नाम एक ही था.

बहुत से लोग ये मानते है कि ऐसा इंदिरा ने राजनैतिक फायदे के लिए किया.

इंदिरा के बाद जिस तरह कांग्रेस में परिवारवाद हावी हुआ उसे देखकर लगता है कि ये बात कहीं ना कहीं सही भी है.

आज भी कांग्रेस में कार्यकुशलता से ज्यादा महत्व गाँधी उपनाम को दिया जाता है.

प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही इंदिरा कड़े निर्णय लेने के लिए प्रसिद्ध थी.

इंदिरा दूरदर्शी भी थी. जब 1971 में पूर्वी पाकिस्तान ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया तो इंदिरा गाँधी ने पूरा समर्थन दिया.

इसका नतीजा था 1971 का भारत पाकिस्तान युद्ध. इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के घुटने टेक दिए और पूर्वी पाकिस्तान आज़ाद हुआ. वही पूर्वी पाकिस्तान जिसे आज हम बांग्लादेश के नाम से जानते है.

इंदिरा को पता था अगर पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान के बीच में भारत रहा तो दोनों को संभालना अधिक मुश्किल है. इसलिए अगर ये दो अलग अलग देश बन जाते है तो उन्हें आसानी से संभाला जा सकता है.

1971 युद्ध विजय के अलावा इंदिरा गांधी की दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि थी भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाना.

इंदिरा गांधी के प्रयासों का ही फल था कि पोखरण में परमाणु परिक्षण कर भारत ने पूरी दुनिया को चौंका दिया.

एक नए नए आज़ाद हुए देश से किसी को भी ये उम्मीद नहीं थी.

इन परीक्षणों के बाद भारत की गिनती भी दुनिया के शक्तिशाली देशों में होने लग गयी थी.

ऊपर वर्णित घटनाएं बताती है कि इंदिरा एक कुशल नेता थी पर एक ऐसे घटना भी थी जो इंदिरा को तानाशाहों की श्रेणी में खड़ा कर देती है .

ये घटना थी आपातकाल.

आपातकाल को अगर भारत जैसे लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.

इंदिरा ने अपने खिलाफ बोलने वाले हर व्यक्ति को रोकने के लिए आपातकाल का इस्तेमाल किया. प्रेस से लेकर बोलने तक पर पाबन्दी थी. समूह बनाना भी गैरकानूनी था. कितने ही लोग जेल में भर दिए गए,कितने ही लोगों की सम्पत्ति जब्त की गयी. लेखक, बुद्धिजीवी, संचार साधन सिर्फ वही लिखते या सुनाते थे जो इंदिरा चाहती थी.

उसके खिलाफ जाने वाले के लिए थी जेल.

इसी का नतीजा था कि अगले आम चुनाव में इंदिरा को हार का सामना करना पड़ा.

मोरारजी देसाई की सरकार के गिरने के बाद इंदिरा एक बार फिर प्रधानमन्त्री बनी.

उनके इस कार्यकाल की सबसे बड़ी घटना थी ऑपरेशन ब्लू स्टार.

खालिस्तान आतंकियों को स्वर्णमंदिर से निकालने के लिए किया गया ये ऑपरेशन ही कारण बना इंदिरा की मौत का. उनके अपने ही सिख अंगरक्षकों ने इंदिरा को गोलियों से छलनी कर दिया. इस घटना के बाद पूरा भारत जल उठा. जिस तरह गोधरा के बाद गुजरात में नियोजित ढंग से दंगे करवाए गए वैसा ही कुछ 84 में किया गया. पूरे देश में सिक्खों के विरुद्ध माहौल तैयार किया गया. और दंगे करवाए गए. हजारों की संख्या में सिख मारे गए.

आज इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि है. आज के दिन ही उनकी गोली मारकर हत्या की गयी थी. अब इंदिरा लौह महिला थी या तानाशाह ये तो सबका अलग अलग नज़रिया है. लेकिन इस बात में कोई दोराय नहीं है कि इंदिरा जैसा प्रधानमंत्री देश में आज तक नहीं हुआ है.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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