अनसुलझे मौत के किस्से – भारत के इतिहास में आज भी कुछ ऐसे सवाल है जिनका जवाब आज तक किसी को नही पता चला है।
कई से राज भी है, जो उन हस्तियों की मौत के साथ दफन हो गए है। ये मौते एक तरह की पहली बनकर ही रह गई, ना कोई इनके होने, और किये जाने के कारण जान सका, ना ही उनका खुलासा कर सका। ये किस्से मौत के है… इसमें भारतीय राजनेताओं, वैज्ञानिकों से लेकर कलाकार तक जिनकी मौत एक पहली अचानक हुई और एक अन्सुलज़ी डोर की तरह उलझ कर ही रह गयी। आज तक इन मौतों के रहस्यों का की खुलासा नहीं हुआ है।
तो चलिए आज हम आपकों इतिहास के कुछ राजनेताओं के अनसुलझे मौत के किस्से बतायेंगे, जो आज तक एक पहली ही बना हुए है…
अनसुलझे मौत के किस्से –
लाल बहादुर शास्त्री जो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भी थे, जिनकी मौत एक सँधैयपूर्ण परिस्थितियों में हुई। ये किस्सा उस वक्त की बात है जब लाल बहादुर शास्त्री पाक के साथ ताशकंद समझौते के लिए गए थे। इस समझौते के अगले दिन होटल के कमरे में भारतीय प्रधानमंत्री का शव पाया गया, और उनकी मौत का कारण दिल का दौरा पड़ना बताया गया। लाल बहादुर शास्त्री की इस मौत को लेकर कई बार राजनीति हुई, जिसमें कई बार आरोप-प्रत्यारोप के साथ कई लोगों ने संभावना जताई कि उन्हे जहर देकर मारा गया था। हालांकि स बात में कितनी सच्चाई है, ये कोई नहीं जानता और ना ही आज तक इस मामले में कोई बड़ा खुलासा सामने आया।
एक दिन अचानक एक खबर सुर्खियों में छा जाती है, खबर के मुताबिक 18 अगस्त 1945 को ताइवान के समीप दुर्घटनाग्रस्त हुए जापानी विमान में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु का दावा किया जाता रहा है। परंतु तब से लेकर आज तक नेताजी की मौत सारे विश्व के लिए एक पहेली बनी हुई है। चूकिं उनकी विमान के क्रेश हो जाने के बाद ना उनकी बॉडी मिली ना कोई अन्य ऐसा सबूत जिससे इस बात की पुष्टि की जा सके।
साल 1966 में डॉ भाभा ने बयान देते हुए कहा कि ‘भारत अल्प समय में ही नाभिकीय ऊर्जा संपन्न हो जायेगा’… उनके इस बयान के बाद स्विस की पहाड़ियों में उनके विमान को दुर्घटनाग्रस्त होना बताया गया था। डॉ भाभा के विमान का मलबा आज तक नहीं मिला।
संजय गाँधी पर उनकी मृत्यु से पहले 3 बार जानलेवा हमला हो चूका था, लेकिन शायद तब उनकी किस्मत उनका साथ निभा रही थी। लेकिन आखिर किस्मत भी कब तक साथ देती। 1980 में दिल्ली के सफदरजंग हवाई अड्डे के समीप एयरक्राफ्ट दुर्घटना में उनकी मौत हो गई और उस समय के रिपोटर्स का कहना था, कि उनकी दुर्घटना के पीछे उनकी माँ का यानि इंदिरा गाँधी की साजिश थी, लेकिन यह बात आज तक साबित नही हो पायी। इंदिरा गांधी की मृत्यु के साथ ही यह राज भी दफ़न हो गया।
नेहरू सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे डॉ मुखर्जी कश्मीर को अलग अधिकार देने व अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे। “एक देश में दो निशान, दो प्रधान, नहीं चलेगा, नहीं चलेगा।” यह नारा देने वाले मुखर्जी को 1958 में उनके कश्मीर भाषण के पूर्व गिरफ्तार कर लिया गया था। इस मामले में संदेह इस बात से भी गहराता है कि मौत के बाद उनके शव का पंचनामा भी नहीं करवाया गया था। उनकी अचानक हुई मृत्यु के बाद उनके चाहने वालों को उनके मरने की खबर समाचारों और सुर्खियों के जरिये पता चली।
ये है अनसुलझे मौत के किस्से – ये अब बेहद आम बात हो गई है कि अचानक एक बड़ी हस्ती के मरने की खबर सुर्खियों में छा जाये। अभी हाल ही में श्रीदेवी की मौत की खबर ने लोगों के पैरों तले की जमीन हिला कर रख दी थी।
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