भारतीय व्यंजनों की बात करें तो वह विश्व में लोकप्रिय है।
विश्व में इन लजीज़ व्यंजनों की ऐसी दिवानगी है कि पर्यटक अक्सर भारत इनका स्वाद लेने के लिए ही आते हैं।
हालांकि यह दूसरी बात है कि भारतीय व्यंजन जहां विश्व में प्यार बटोर रहे हैं। वहीं यह व्यंजन, भारतीय थाली से गायब होते जा रहे हैं। देखा जाए तो लुप्त हो रहे व्यंजनों की सूची में अधिक क्षेत्रिय आहार हैं, जोकि एक क्षेत्र तक ही सिमट गये हैं ।
आपको बता दें कि राज्यों (क्षेत्र) में रिश्ता बनाने का कार्य भोजन भी करता है जैसा कि भारत के 29 राज्य, जिनमें हर राज्य की अलग पाक कला है। और ये भारत के क्षेत्रिय व्यंजन जब शहरों में जाते हैं तो उनके स्वाद में क्षेत्र की महक होती है। जो किसी क्षेत्र की पहचान को बयां करते है। मगर शहरों में पंजाबी व दक्षिण भारत के खानों की विशाल आकार ने अन्य भारत के क्षेत्रिय व्यंजन के स्वाद को गायब कर दिया है। जिनके नाम आप नीचे पढ़ सकते हैं।
भारत के क्षेत्रिय व्यंजन –
1 – उत्तर-पूर्व और वहां की थाली
शहरों में उत्तर-पूर्व के व्यंजनों के बारे में शायद ही कोई जानता होगा। क्योंकि शहरों में नॉर्थ ईस्ट के आहारों के नाम कम सुनायी देते हैं। जैसा इस तस्वीर में देख सकते हैं कि नॉर्थ ईस्ट के व्यंजनों से भरी यह थाली, जिसमें टेंगा फिश के साथ अन्य व्यंजन भी हैं।
2 – उत्तर-भारत, परिंदा मैं परिंदा
अक्सर उत्तर-भारत के नाम पर हम नॉर्थ थाली खाया करते हैं। जिसमें दाल, रोटी, चावल, अचार, व पापड़ ही रहता है। मगर उत्तर भारत का एक प्राचीन व्यंजन हैं जिसे परिंदा मैं परिंदा कहा जाता है। यह व्यंजन शहरों से पूर्ण रूप से गायब हो गया है।
3 – उत्तर-प्रदेश, गेलॉटी कबाब
उत्तर प्रदेश, लखनऊ के गेलॉटी कबाब, जो वहां की एक क्षेत्रिय रेसिपी है। शहरों से लुप्त हो चुकी है।
4 – बिहार, लिट्टी चोखा
बिहार की एक प्रमुख रेसिपी है लिट्टी चौखा, जो वहां के हर घर में बनायी जाती है मगर यह व्यंजन शहरों में सिर्फ नाम पर ही जीवित है बाकी लिट्टी चोखा दिखाई नहीं देता।
5 – हिमाचल प्रदेश, मादरा
हिमाचल प्रदेश की ट्रेडिश्नल डिश मादरा, जो हिमाचल तक ही सीमित है।
6 – उत्तराखंड, चैंसू
उत्तराखंड की पारंपरिक डिश चैंसू, जिसे केवल शहरों में विशेष मौकों जैसे व्यापार मेला या सांस्कृतिक प्रोगाम में ही देखा जाता है।
ये है भारत के क्षेत्रिय व्यंजन जिनके बारे में आपने कभी नहीं सुना होगा. ये सभी क्षेत्रिय व्यंजन आप के लिए नये हों, वह इसलिए कि यह शहरों में दिखाई नहीं देते हैं।