भारत का ताजमहल दुनिया के सात अजूबो में शामिल है जिसका दीदार करने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं.
वैसे ताजमहल की तरह भारत में कई और ऐसी ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिन्हें दुनिया के कई देशों ने कॉपी करने की कोशिश तो की, लेकिन इसमें कामयाब न हो सके.
जब भी भारत की ऐतिहासिक इमारतें बनाने की कोशिश की गई तो उनमें कोई-न-कोई कमी रह ही गई.
आइए आज हम आपको बताते हैं भारत की ऐतिहासिक इमारतें, जिन्हें आज तक दुनिया का कोई भी देश कॉपी नहीं कर सका.
भारत की ऐतिहासिक इमारतें –
1 – ताजमहल
दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल को शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनवाया था. ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था और करीब 21 साल बाद यह बनकर तैयार हुआ था.
भारत के बुलंदशहर और औरंगाबाद के अलावा बांग्लादेश और दुबई में ताजमहल को कॉपी करने की कोशिश की गई लेकिन उनमें कोई-न-कोई कमी रह गई.
2 – दिल्ली का लाल किला
दिल्ली के लाल किले का निर्माण 1639 में शुरू किया गया था जो 1648 तक जारी रहा. हालांकि इस किले का अतिरिक्त काम 19वीं सदी के मध्य में शुरू किया गया था.
लाल पत्थर से बना यह विशाल किला दुनिया के भव्य महलों में से एक माना जाता है. हालांकि दिल्ली के लाल किला की तरह आगरा में भी लाल किला है लेकिन वो इससे जुदा नज़र आता है.
3 – कुतुब मीनार
दिल्ली के कुतुब मीनार को यूनेस्को ने विश्व धरोहरों में शामिल किया है. यह देश की सबसे ऊंची मीनार है. इसकी ऊंचाई करीब 72.5 मीटर है.
कुतुब मीनार को 1193 से 1368 के बीच कुतुबुद्दीन-ऐबक ने विजय स्तंभ के रूप में बनवाया था. यह भारत की एक अनोखी संरचना है जिसे कोई देश कॉपी नहीं कर पाया.
4 – गेटवे ऑफ इंडिया
मुंबई का गेटवे ऑफ इंडिया वास्तुकला की एक अनोखी मिसाल पेश करता है. इसकी ऊंचाई करीब आठ मंज़िल के बराबर है. इसका निर्माण 1911 में हिंदू औऱ मुस्लिम दोनों प्रकार की वास्तुकला को ध्यान में रखते हुए कराया गया था. जिसे कॉपी करना लगभग ना के बराबर है.
5 – हवा महल
जयपुर के हवा महल का निर्माण सन 1799 में राजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था. इस महल को लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरों से बनाया गया है. इसमें 950 से भी ज्यादा खिड़कियां हैं जो इसे बेहद खास बनाती है.
दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनानेवाली इस इमारत की कॉपी करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है.
6 – मैसूर महल
मैसूर महल में इंडो-सारासेनिक, द्रविडियन, रोमन और ओरिएंटल शैली की वास्तुकला देखने को मिलती है. इस तीन मंजिला महल को बनवाने में भूरे ग्रेनाइट का सहारा लिया गया है और इसमें तीन गुलाबी संगमरमर के गुंबद हैं.
यह महल विश्व के सर्वाधिक घूमे जानेवाले स्थलों में से एक है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी इसे विश्व के 31 अवश्य घूमे जानेवाले स्थानों में रखा है.
7 – चार मीनार
हैदराबाद की खास पहचान माने जानेवाले चार मीनार को मोहम्मद कुली कुतुब शाही ने 1591 में बनवाया था. यह भव्य इमारत प्राचीन काल की उत्कृष्ट वास्तुशिल्प का बेहतरीन नमूना है.
इस भव्य इमारत में चार मीनारें हैं जो चार मेहराब से जुड़ी हुई हैं. मेहराब मीनार को सहारा भी देता है. चार मीनार जैसी दूसरी इमारत का बनना भी काफी मुश्किल है.
8 – सांची स्तूप
सांची स्तूप एक मशहूर पर्यटन स्थल है जो भोपाल से लगभर 46 किमी. दूर सांची गांव में स्थित है.
यहां तीन स्तूप है और ये देश के सर्वाधिक संरक्षित स्तूपों में से एक है.
सांची के तीनों स्तूप वर्ल्ड हेरिटेज साईट के रुप में माने जाते हैं और वर्तमान में यूनेस्को के अंतर्गत आते हैं. सांची स्तूप की अद्भुत वास्तु कला को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि इसे कॉपी करना किसी भी देश के बस की बात नहीं है.
9 – बड़ा इमाम बाड़ा
लखनऊ के गोमती नदी के किनारे स्थित बड़ा इमामबाड़ा को नवाब आसफुद्दौला ने बनवाया है. इस इमारत को बनाने में ना तो लोहे का इस्तेमाल हुआ है और न ही किसी खंभे का.
50 मीटर लंबा, 16 मीटर चौड़ा हॉल सिर्फ ईंटों का जाल बनाकर निर्मित किया गया है. इसकी ऊंचाई 15 मीटर है और लगभग 20,000 टन भारी छत बिना किसी बीम के सहारे मजबूती से टिकी हुई है. इसे देखकर बड़े-बड़े इंजीनियर भी हैरत में पड़ जाते हैं.
ये है भारत की ऐतिहासिक इमारतें – बहरहाल भारत की ऐतिहासिक इमारतें जिनको देखकर हर हिंदुस्तानी को गर्व भी होता है क्योंकि ये हमारे देश की ऐसी अनमोल विरासतें हैं जिन्हें दुनिया के कई देश कॉपी तो करना चाहते हैं लेकिन वो ऐसा कर नहीं पाते हैं.
वेश्याओं के रेड लाइट इलाके में हर रोज़ सजती है जिस्मफरोशी की मंडी. इस मंडी…
संघर्ष करनेवालों की कभी हार नहीं होती है. जो अपने जीवन में संघर्षों से मुंह…
वैष्णों देवी माता का मंदिर कटरा से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.…
धन-दौलत की चाह रखनेवाले हमेशा धन की देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं. माता लक्ष्मी…
साल के बारह महीनों में रमज़ान का महीना मुसलमानों के लिए बेहद खास होता है.…
उज्जैन के क्षिप्रा नदी के पूर्वी किनारे पर बसा है उज्जैन के राजा महाकालेश्वर का…