मनोहर आइच – जब भी लोगों के मन में बॉडी बिल्डिंग का ख्याल आता है तो उनके सामने सिर्फ एक ही चेहरा उभर कर आता है और वो है अर्नाल्ड का.
अर्नाल्ड ने अपनी जबरदस्त बॉडी से पूरी दुनिया में धूम मचाई थी. लेकिन क्या आप जानते है भारत में भी एक बॉडी बिल्डर हुआ है जिसने अर्नोल्ड से पहले दुनिया भर में अपनी बेहतरीन बॉडी से नाम कमाया है.
स बॉडी बिल्डर ने अपने शरीर को लोहे जैसा बना लिया था. इनका नाम मनोहर आइच है. ऐसा कहा जाता है कि बुढ़ापे में भी इनकी बॉडी किसी 25 साल के नौजवान जैसी थी.
शुरूआती जिंदगी-
मनोहर आइच का जन्म आज से आज से 106 साल पहले पुटिया नाम के एक गाँव में 17 मार्च 1912 को हुआ था. आज ये गाँव बांग्लादेश में है लेकिन आज़ादी से पहले ये बंगाल का हिस्सा हुआ करता था. उनके माता-पिता काफी गरीब थे और छोटे-मोटे काम करके घर चलाया करते थे. जब भारत में पहलवानी का माहौल हुआ करता था तब लीक से हटकर उन्होंने बॉडी बिल्डिंग शुरू की थी. ऐसा कहा जाता है कि बचपन में एक बार जब मनोहर आइच ने कुछ पहलवानों को अपनी बॉडी का प्रदर्शन करते हुए देखा था तभी से उन्हें बॉडी बिल्डिंग का चस्का लग गया था और उन्होंने सोच लिया था कि अब वे एक बॉडी बिल्डर ही बनेंगे.
हालाँकि उस समय आज की तरह जिम और फिजिकल ट्रेनर नहीं हुआ करते थे, तब उन्होंने खुद ही इसकी शुरुआत की और रोजाना दौड़ना और तरह-तरह की एक्सरसाइज करना शुरू किया. धीरे-धीरे उनका शरीर बनने लगा तो उन्होंने वजन उठाना भी शुरू कर दिया. उन्होंने थोड़ी बहुत बॉडी बनाई ही थी कि उनके पिता की तबियत ख़राब हो गई और घर की जिम्मेदारी उनके ऊपर ही आ गई. अब उनके पास एक ही रास्ता था परिवार को संभाले या फिर बॉडी बनाएं तब उन्होंने बीच का रास्ता चुना और अपनी बॉडी को ही रोजगार का जरिया बना लिया. वे मेलों में जाकर अपनी बॉडी का प्रदर्शन करने लगे जिससे उन्हें थोड़ी बहुत आमदनी हो जाया करती थी जिससे उनका घर चल जाया करता था.
फिर ब्रिटिश एयरफोर्स से हुई नई शुरुआत-
अपनी कड़ी मेहनत से मनोहर आइच ने जो बॉडी बनाई थी उसे देखते हुए उन्हें ब्रिटिश रॉयल एयरफोर्स में फिजिकल ट्रेनर की नौकरी मिल गई. यहाँ पर ट्रेनिंग देने के दौरान उनकी जबरदस्त बॉडी देखते हुए एक ब्रिटिश अफसर ने उन्हें बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताएं में भाग लेने की बात कही. अब उन्होंने पहले से ज्यादा हार्ड ट्रेनिंग शुरू कर दी और कुछ ही महीनों में पहले से कई गुना बेहतर बॉडी बना ली.
जब एक ब्रिटिश अफसर को जड़ दिया जोरदार तमाचा-
ये बात 1942 की है जब मनोहर आइच बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता की तैयारी में लगे थे तभी देश में ‘भारत छोडो आन्दोलन’ भी शुरू हो गया. इसी बीच एक ब्रिटिश अफसर ने भारतीयों के लिए अपशब्द कह दिए थे तब मनोहर आइच ने उन्हें जोरदार तमाचा जड़ दिया. इस तमाचे से तिलमिलाएं ब्रिटिश आर्मी ने उनका कोर्ट मार्शल करके उन्हें नौकरी से निकाल दिया और जेल में डाल दिया गया.
जेल जाने के बाद भी बॉडी बिल्डिंग का जूनून ख़त्म नहीं हुआ-
कोर्ट मार्शल के बाद उन्हें जेल में डाल दिया गया लेकिन यहाँ पर भी उनका जूनून कम नहीं हुआ और उन्होंने जेल में ही कसरत करनी शुरू कर दी. जेल प्रशासन ने उनकी लगन को देखते हुए उनकी मदद करनी शुरू की और उनके विशेष खाने-पीने की व्यवस्था की. फिर 1947 में उन्हें आज़ादी मिलने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया. जेल से छूटने के बाद उन्होंने नारियल बेचना शुरू किया ताकि बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता के लिए कुछ पैसा इकठ्ठा कर सके.
1950 से शुरू हुआ इंटरनेशनल सफलता का दौर-
1950 में उन्होंने अपनी पहला इंटरनेशनल टाइटल ‘मिस्टर हरक्यूलिस’ जीता. इस टाइटल को जीतने के बाद उनका नाम ‘पॉकेट हरक्यूलिस’ के नाम से प्रसिद्द हुआ. 1951 में वे मिस्टर यूनिवर्स प्रतियोगिता के लिए लंदन गए. यहाँ पर उन्होंने अपना खूब कमाल दिखाया लेकिन वे ख़िताब नहीं जीत पाए, तब उन्होंने अगली मिस्टर यूनिवर्स प्रतियोगिता के लिए लंदन में ही रहने का निर्णय लिया और यहीं पर रहकर प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया. जब खर्चे चलाने के लिए पैसे ख़त्म हो गए तो उन्होंने लंदन में ही बस कंडक्टर की नौकरी कर ली.
और फिर वो दिन भी आ गया जब सपना पूरा हुआ-
लंदन में रहकर लगातार प्रैक्टिस करने से उनका शरीर लोहा बन चूका था फिर 1952 में मिस्टर यूनिवर्स प्रतियोगिता का वो दिन भी आ गया था जिसके लिए मनोहर सालों से तैयारी कर रहे थे. जब उन्होंने अपनी बॉडी का प्रदर्शन किया तो पूरा हॉल तालियों की गडगडाहट से गूँज उठा. इंडिया के बॉडी बिल्डर ने इतिहास रच दिया था वे यहाँ तक पहुँचने वाले पहले भारतीय तो थे ही साथ ही उन्होंने ‘मिस्टर यूनिवर्स’ का ख़िताब जीतकर इतिहास के सुनहरे अक्षरों में अपना नाम लिख दिया था. वे ऐसे पहले भारतीय बन गए जिसने मिस्टर यूनिवर्स का टाइटल जीता था. ये टाइटल जीतने के बाद उन्होंने भारत में आकर ट्रेनिंग देकर अपने जैसे कई बॉडी बिल्डर खड़े किये.
लेकिन एक उम्र के बाद इस इंसानी शरीर को छोड़ना ही पड़ता है. अपनी आँखों से एक सदी देख चुके मनोहर आइच ने भी 104 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. 5 जून 2016 को भारत के पहले मिस्टर यूनिवर्स मनोहर आइच की मृत्यु हो गई.